पृष्ठ:Rajasthan Ki Rajat Boondein (Hindi).pdf/५८

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जरूरत रहती है। लेकिन जैसलमेर के शिल्पियों ने यहां कुछ ऐसे काम किए जिनसे शिल्प सुंदरता का शास्त्र में कुछ नए पन्ने जुड़ सकते हैं। यहां तालाब के तल में सात सुंदर बेरियां बनाई गईं। बेरी एक तरह की बावड़ी, पगबाव भी कहलाती है। तालाब का पानी सूख जाता है, लेकिन उसके रिसाव से भूमि का जल स्तर ऊपर उठ जाता है। इसी साफ छने पानी से बेरियां भरी रहती हैं। बेरियां भी ऐसी बनी हैं कि अपना जल खो बैठा अमर सागर अपनी सुंदरता नहीं खो देता। सभी बेरियों पर पत्थर के सुन्दर चबूतरे, स्तंभ, छतरियां और नीचे उतरने के लिए कलात्मक सीढ़ियां हैं। गर्मी में, बैसाख में भी मेला भरता है और बरसात में, भादों में भी। सूखे अमर सागर में ये बेरियां किसी महल के टुकड़े जैसी लगती हैं और जब यह भर जाता है तो लगता है तालाब में छतरीदार बड़ी-बड़ी नावें तैर रही हैं।

जैसलमेर मरुभूमि का एक ऐसा राज रहा है, जिसका व्यापारी-दुनिया में डंका बजता था। तब यहां सैकड़ों ऊंटों के कारवां रोज आते थे। आज के सिंध, पाकिस्तान,