पृष्ठ:Rajasthan Ki Rajat Boondein (Hindi).pdf/६१

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में फैल जाता है। मेघ और मेघराज भले ही यहां कम आते हों, लेकिन मरुभूमि में मेघोजी जैसे लोगों की कमी नहीं रही।

राजस्थान के तालाबों का यह जसढोल जसेरी नाम के एक अद्भुत तालाब के बिना पूरा नहीं हो सकता। जैसलमेर से कोई ४० किलोमीटर दूर डेढ़ा गांव के पास बना यह तालाब पानी रोकने की सारी सीमाएं तोड़ देता है। चारों तरफ तपता रेगिस्तान है पर जसेरी का न तो पानी सूखता है न उसका यश ही। जाल और देशी बबूल के पेड़ों से ढंकी पाल पर एक छोटा-सा सुंदर घाट और फिर तालाब के एक कोने में पत्थर की सुंदर छतरी - कहने लायक कुछ खास नहीं मिलेगा यहां। पर किसी भी महीने में यहां जाएं, साफ नीले पानी में लहरें उठती मिलेंगी, पक्षियों का मेला मिलेगा। जसेरी का पानी सूखता नहीं। बड़े से बड़े अकाल में भी जसेरी का यह जस सूखा नहीं है।

जसेरी तालाब भी है और एक बड़ी विशाल कुंई भी। इसके आगर के नीचे कुंई की तरह बिट्टू रो बल्लियो है, यानी पत्थर की पट्टी चलती है। इसे खोदते समय इस पट्टी का पूरा ध्यान रखा गया। उसे कहीं से भी टूटने नहीं दिया गया। इस तरह इसमें पालर पानी और रेजाणी पानी का मेल बन जाता है। पिछली वर्षा का पानी सूखता नहीं और फिर अगली वर्षा का पानी आ मिलता है - जसेरी हर बरस बरसी बूंदों का संगम है।

कहा जाता है कि तालाब के बीच में एक पगबाव, यानी बावड़ी भी है और उसी के किनारे तालाब को बनाने वाले पालीवाल ब्राह्मण परिवार की ओर से एक ताम्रपत्र लगा है। लेकिन किसी ने इसे पढ़ा नहीं है क्योंकि तालाब में पानी हमेशा भरा रहता है। बावड़ी तथा ताम्रपत्र देखने, पढ़ने का कोई मौका ही नहीं मिला है। संभवत: जसेरी बनाने वालों ने बहुत सोच समझ कर ताम्रपत्र को तालाब के बीच में लगाया था - लोग ताम्रपत्र के बदले चांदी जैसे चमकीले तालाब को पढ़ते हैं और इसका जस फैलाते जाते हैं।

आसपास के एक या दो नहीं, सात गांव इसका पानी लेते हैं। कई गांवों का पशुधन जसेरी की सम्पन्नता पर टिका हुआ है। अन्नपूर्णा की तरह लोग इसका वर्णन जलपूर्णा की तरह करते हैं और फिर इसके जस की एक सबसे बड़ी बात यह भी बताते हैं कि जसेरी में अथाह पानी के साथ-साथ ममता भी भरी है - आज तक इसमें कोई डूबा नहीं है। कलत (साद) इसमें भी आई है - फिर भी इसकी गहराई इतनी है कि ऊंट पर बैठा सवार डूब जाए - लेकिन आज तक इसमें कोई डूब कर मरा नहीं है। इसीलिए जसेरी को निर्दोष तालाब भी कहा गया है।

पानी की ऐसी निर्दोष व्यवस्था करने वाला समाज, बिंदु में सिंधु देखने वाला समाज हेरनहार को हिरान कर देता है।