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राजस्थान की रजत बूंदें

ये नाम कवि हरराज द्वारा रचित डिंगल नाममाला से हैं। कवि नागराज पिंगल ने नागराज डिंगल कोष में समुद्र के नामों को इस तरह गिनाया है:

उदध अंब अणथाग आच उधारण अळियळ,
महण (मीन) महरांण कमळ हिलोहळ व्याकुल।
बेळावळ अहिलोल वार ब्रहमंड निधूवर,
अकूपार अणथाग समंद दध सागर सायर।
अतरह अमोघ चड़तव अलील बोहत अतेरुडूबवण,
(कव कवत अेह पिंगल कहै बीस नामं)सामंद (तण)॥

कवि हमीरदान रतनू विरचित हमीर नाममाला में समुद्र नाममाला कुछ और नए नाम जोड़ती है:

मथण महण दध उदध महोदर,
रेणायर सागर महरांण॥
रतनागर अरणव लहरीरव,
गौडीरव दरीआव गंभीर।
पारावार उधघिपत मछपति
(अथग अंबहर अचळ अतीर)॥
नीरोवर जळराट वारनिधि
पतिजळ पदमालयापित।
सरसवांन सामंद,
महासर अकूपार उदभव-अम्रति॥

छतें भी आगोर भी

कविराज मुरारिदान समुद्र के बचे खुचे अन्य नाम समेट लेते है:

सायर महराण स्रोतपत सागर दध रतनागर मगण दधीं,
समंद पयोधर बारध सिंधू नदीईसबर बानरथी।
सर दरियाव पतोनध समदर लखमीतात‌ जळंध
लवणोद,
हीलोहळ जळपती बारहर पारावार उदध पाथोद।
सरतअधीस मगरघर‌ सरबर अरणव महाकच्छ अकुपार,