परजन्य मुदिर पाळग भरण (तीस नाम) नीरद (तणा)॥ श्री हमीरदान रतनू विरचित हमीर नांम-माला में बादलों के नामों की घटा इस प्रकार छा जाती है : पावस मुदर बळाहक पाळग, श्री उदयराम बारहठ विरचित अवधान-माला में बचे हुए नाम इस तरह समेटे गए हैं : धाराधर घण जळधरण मेघ जळद जळमंड, डिंगल कोष की एक अन्य सूची, जिसके कवि अज्ञात ही हैं, बादल के कुछ ज्ञात-अज्ञात नाम और जोड़ती हैं : |
मेघ जळद नीरदं जळमंडण, काली घटाओं की तरह उमड़ती यह सूची कविराजा मुरारिदान द्वारा रचित डिंगल कोष के इस अंश पर रोकी भी जा सकती है : मेघ घनाधन घण मुदिर जीमूत (र) जळवाह, डिंगल कोष के ये संदर्भ हमें श्री नारायण सिंह भाटी द्वारा संपादित और राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर द्वारा सन् १९५७ में प्रकाशित डिंगल-कोष से मिले हैं। बादलों के स्वभाव, रंग रूप, उनका इस से उस दिशा में दौड़ना, किसी पहाड़ पर थोड़ा टिक कर आराम करना आदि की प्रारंभिक सूचनाएं राजस्थानी |
राजस्थान की रजत बूंदें