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रामनाम


गाधीजीने रुधे हुअे कठसे अिस बातका जिक्र किया कि बचपनमे वे बहुत डरपोक थे और परछाहीसे भी डरा करते थे। अुन दिनो अुनकी धाय रभाने अुन्हे डर भगानेके लिअे रामनामका मत्र सिखाया था। अुन्होने कहा—"रभा मुझसे कहती कि 'जब डर मालूम हो, रामका नाम लिया करो। वह तुम्हारी रक्षा करेगा'। अुस दिनसे रामनाम सब तरहके डरोके लिअे मेरा अचूक सहारा बन गया है।

"राम पवित्र लोगोके दिलमे हमेशा रहता है। जिस तरह बगालमे श्री चैतन्य और श्री रामकृष्णका नाम मशहूर है, अुसी तरह काश्मीरसे कन्याकुमारी तक हरअेक हिन्दू घर जिनके नामसे वाकिफ है, अुन भक्त-शिरोमणि तुलसीदासने अपने अमर महाकाव्य रामायणमे हमको रामनामका मत्र दिया है। अगर आप रामनामसे डर कर चले, तो दुनियामे आपको क्या राजा, क्या रक, किसीसे डरनेकी जरूरत न रह जाए। 'अल्लाहो अकबर' की पुकारोसे आपको क्यो डरना चाहिए? अिस्लामका अल्लाह तो बेगुनाहोकी हिफाजत करनेवाला है। पूर्वी बगालमे जो वारदाते हुअी है, अुन्हे पैगम्बर साहबका अिस्लाम मजूर नही करता।

"अगर अीश्वरमे आपकी श्रद्धा है, तो किसकी ताकत है कि आपकी औरतो और लडकियोकी अिज्जत पर हाथ डाले? अिसलिअे मुझे उम्मीद है कि आप लोग मुसलमानोसे डरना छोड देगे। अगर आप रामनाममे विश्वास करते है, तो आपको पूर्वी बगाल छोडनेकी बात नही सोचनी चाहिअे। जहा आप पैदा हुअे और पले-पुसे, वही आपको रहना चाहिअे और जरूरत पडने पर बहादुर मर्दो और औरतोकी तरह अपनी आबरूकी हिफाजत करते हुअे वही मर जाना चाहिअे। खतरेका सामना करनेके बदले अुससे दूर भागना अुस श्रद्धासे अिनकार करना है, जो मनुष्यकी मनुष्य पर, अीश्वर पर और अपने-आप पर रहती है। अपनी श्रद्धाका अैसा दिवाला निकालनेसे बेहतर तो यह है कि अिन्सान डूब कर मर जाय।

हरिजनसेवक, २४-११-१९४६