अुनके लिअे रामनाम किसी कामका नही। रामनामका अुपयोग तो अच्छे कामके लिअे होता है। बुरे कामके लिअे हो सकता होता, तो चोर और डाकू सबसे बडे भक्त बन जाते। रामनाम अुनके लिअे है, जो दिलके साफ है और जो दिलकी सफाअी करके हमेशा साफ-पाक रहना चाहते है। भोग-विलासकी शक्ति या सुविधा पानेके लिअे रामनाम कभी साधन नही बन सकता। बादीका अिलाज प्रार्थना नही, अुपवास है। अुपवासका काम पूरा होने पर ही प्रार्थनाका काम शुरू होता है, गोकि यह सच है कि प्रार्थनासे अुपवासका काम आसान और हलका बन जाता है। अिसी तरह अेक तरफसे आप अपने शरीरमे दवाकी बोतले अुडेला करे और दूसरी तरफ मुहसे रामनाम लिया करे, तो वह बेमतलब मजाक ही होगा। जो डॉक्टर बीमारकी बुराअियोको बनाये रखनेमे या अुन्हे सहेजनेमे अपनी होशियारीका अुपयोग करता है, वह खुद गिरता है और अपने बीमारको भी नीचे गिराता है।[१] अपने शरीरको अपने सिरजनहारकी पूजाके लिअे मिला हुआ अेक साधन समझनेके बदले अुसीकी पूजा करने और अुसको किसी भी तरह बनाअे रखनेके लिअे पानीकी तरह पैसा बहानेसे बढकर बुरी गत और क्या हो सकती है? अिसके खिलाफ रामनाम रोगको मिटानेके साथ ही साथ आदमीको भी शुद्ध बनाता है और अिस तरह अुसको ऊचा उठाता है। यही रामनामका अुपयोग है, और यही अुसकी मर्यादा।
हरिजनसेवक, ७-४-१९४६
- ↑ हमे शरीरके बदले आत्माके चिकित्सकोकी जरूरत है। अस्पतालो और डॉक्टरोकी वृद्धि कोअी सच्ची सभ्यताकी निशानी नही है। हम अपने शरीरसे जितनी ही कम मोहब्बत करे, अुतना ही हमारे और सारी दुनियाके लिअे अच्छा है।—हिन्दी नवजीवन, ६-१०-१९२७