रामनामके प्रति गाधीजीके हृदयमे श्रद्धाका बीज बोनेवाली अुनकी दाअी रमा थी। अिसका अुल्लेख गाधीजीने खुद अपनी 'आत्मकथा' मे किया है। बचपनमे अुनके हृदयमे जो बीज बोया गया था, वह पौधा बनकर गाधीजीकी साधनाके बरसो दरमियान धीरे धीरे विकास करता गया। आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक तीनो तरहकी कठिनाअियोमे रामनाम मनुष्यका सबसे बड़ा सहारा बनता है, अैसी श्रद्धा गाधीजीने अपने लेखोमे बार-बार प्रकट की है। जीवनके आखिरी बरसोमे कुदरती अुपचारका काम हाथमे लेनेके बाद अुन्होने कअी बार लिखा है कि रामनाम शरीरकी बीमारियोको मिटानेका रामबाण कुदरती अिलाज है।
रामनामके बारेमे गाधीजीकी अिस श्रद्धाको प्रकट करनेवाले लेखोका अग्रेजीमे सपादन करके श्री भारतन् कुमारप्पाने जो पुस्तक तैयार की थी, अुसे नवजीवन कार्यालयने प्रकाशित किया है। यह हिन्दुस्तानी सस्करण अुसीके आधार पर तैयार किया गया है।
गाधी-साहित्य और रामनामके प्रेमियोको यह सग्रह बहुत पसन्द आयेगा, अैसे विश्वाससे ही यह प्रकाशित किया गया है।