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विश्वास-चिकित्सा और रामनाम

आपकी क्षयकी बीमारीके कअी कारण हो सकते है। यह भी कौन कह सकता है कि पच महाभूतोका आपने जरूरतके मुताबिक अुपयोग किया या नही? अिसीलिअे जहा तक मै कुदरतके नियमोको जानता हू और अुन्हें सही मानता हू, वहा तक मै तो आपसे अही कहूगा कि कही-न-कही पच महाभूतोका अुपयोग करनेमे आपने भूल की है। महादेव और रामकृष्ण परमहसके बारेमे आपने जो शका अुठाअी, अुसका जवाब भी मेरी अुपरकी बातमे आ जाता है। कुदरतके नियमको गलत कहनेके बजाय यह कहना ज्यादा युक्तिसगत मालूम होता है कि अिन्होने भी कही-न-कही भूल की होगी। नियम कोई मेरा बनाया हुआ नहीं है, वह तो कुदरतका नियम है, कई अनुभवी लोगोने अिसे कहा है। और अिसी बातको मानकर मै चलनेकी कोशिश करता हू। आखिरकार मनुष्य अपूर्ण प्राणी है। और कोअी अपूर्ण मनुष्य इसे कैसे जान सकता है? डॉक्टर अिसे नही मानते। मानते भी है तो उसका दूसरा अर्थ करते है। इसका मुझ पर कोई असर नही होता। नियमकी अैसी ताअीद करने पर भी मेरे कहनेका यह मतलब नही होता, न निकाला जाना चाहिये कि इससे अूपरके किसी व्यक्तिका महत्त्व कम होता है।

हरिजनसेवक, ४-८-१९४६

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विश्वास-चिकित्सा[] और रामनाम

एक दोस्त अुलाहना देते हुए लिखते है

"क्या आपका कुदरती अिलाज और विश्वास-चिकित्सा कुछ मिलती-जुलती चीजे है? बेशक मरीजको अिलाजमे श्रद्धा तो होनी चाहिये, लेकिन कअी अैसे अिलाज है जो सिर्फ विश्वाससे ही रोगीको अच्छा कर देते है, जैसे, माता (चेचक), पेटका दर्द वगैरा बीमारियोके। शायद आप जानते हो कि माताका, खासकर दक्षिणमे[], 'कोई इलाज नही किया जाता। इसे सिर्फ ईश्वरकी माया-मान लिया जाता है।


  1. जिस अिलाजकी नीव विश्वास पर हो।
  2. मद्रास राज्य।