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रामनाम


खडा हो गया—अितना नजदीक खडा था कि पिस्तोलसे निकली हुअी गोलीका खोल बादमे बापूके कपडोकी पर्तमे अुलझा हुआ मिला। सात कारतूसोवाली ऑटोमेटिक पिस्तोलसे जल्दी-जल्दी तीन गोलिया छूटी। पहली गोली नाभीसे ढाअी अिंच अूपर और मध्यरेखासे साढे तीन अिच दाहिनी तरफ पेटकी दाहिनी बाजूमे लगी। दूसरी गोली मध्यरेखासे अेक अिचकी दूरी पर दाहिनी तरफ घुसी और तीसरी गोली छातीकी दाहिनी तरफ लगी। पहली और दूसरी गोली शरीरको पार करके पीठ पर बाहर निकल आअी। तीसरी गोली अुनके फेफडेमे ही रुकी रही। पहले वारमे अुनका पाव, जो गोली लगनेके वक्त आगे बढ रहा था, नीचे आ गया। दूसरी गोली छोडी गअी, तब तक वे अपने पावो पर ही खडे थे। और अुसके बाद वे गिर गये। अुनके मुहसे आखिरी शब्द "राम! राम!" निकले।

हरिजनसेवक, १५-२-१९४८

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प्रार्थना-प्रवचनोंमें से

रामनाम––अुसके नियम और अनुशासन

गाधीजीने कहा रामनाम आदमीको बीमारीमे मदद कर सकता है, लेकिन अुसके कुछ नियम और अनुशासन है। कोअी जरूरतसे ज्यादा खाना खाकर 'रामनाम' जपे और फिर भी अुसे पेटका दर्द हो, तो वह गाधीको दोष नही दे सकता। रामनामका अुचित ढगसे अुपयोग किया जाय तभी अुससे लाभ होता है। कोअी आदमी रामनाम जपे और लूटपाट मचावे, तो वह मोक्षकी आशा नहीं कर सकता। वह सिर्फ अुन्हींके लिअे है, जो आत्मशुद्धि के लिअे अुचित अनुशासन पालनेके लिअे तैयार है।

––बम्बअी, १५-३-४६

सबसे असरकारक इलाज

अुरुळीकाचनकी प्रार्थना-सभामे भाषण करते हुअे गाधीजी ने कहा—रामधुन शारीरिक और मानसिक बीमारियोंके लिअे सबसे असरकारक इलाज है। कोअी डॉक्टर या वैद्य दवा देकर बीमारी अच्छी करनेका वचन नही