बदन पर, खासकर छाती पर पहनते-ओढते है। दूसरे कुछ लोग कागजके टुकडो पर बारीक अक्षरोमे करोडोकी तादादमे रामनाम लिखते है और अुन्हे काट-काटकर अुनकी छोटी-छोटी गोलिया अिस खयालसे निगल जाते है कि अिस तरह वे यह दावा कर सकेगे कि रामनाम अुनके दिलमे छप गया है। अेक और भाअीने अुनसे पूछा था कि क्या अुन्होने रामनामको सब तरहकी बीमारियोका अेक ही रामबाण अिलाज कहा है? और क्या अुनके ये राम अीश्वरके अवतार और अयोध्याके राजा दशरथके पुत्र थे? कुछ अैसे भी लोग है, जो मानते है कि गाधीजी खुद भुलावेमे पडे हुअे है और अन्ध-विश्वासोसे भरे अिस देशके हजारो अन्ध-विश्वासोमे अेक और अन्ध-विश्वास बढाकर दूसरोको भी भुलावेमे डालनेकी कोशिश कर रहे है। गाधीजीने कहा "अिस तरहकी टीकाका मेरे पास कोअी जवाब नहीं है। मै तो अपने दिलसे यह कहता हू कि अगर लोग सचाअीका दुरुपयोग करते है और धोखा-धडीसे काम लेते है, तो मै अुसकी परवाह क्यो करू? जब तक मुझे अपनी सचाअीका पक्का भरोसा है, मै अिस डरसे अुसका अैलान करनेसे रुक कैसे सकता हू कि लोग अुसे गलत समझेगे या अुसका गलत अिस्तेमाल करेगे? अिस दुनियामे अैसा कोअी नही है, जिसने पूरी-पूरी सचाअीको जाना हो। यह तो सिर्फ अेक अीश्वरका ही विशेषण है। हम सब तो सिर्फ सापेक्ष सत्यको ही जानते है । अिसलिअे जिसे हम जानते है, अुसीके मुताबिक हम अपना बरताव रख सकते है। अिस तरह सचाअीका पालन करनेसे कोअी कभी गुमराह नही हो सकता।"
—नअी दिल्ली, २४-५-'४६
रामनाम कैसे लें?
आजके अपने भाषण मे गाधीजीने बताया कि किस तरह अिन्सानको सतानेवाली तीनो तरहकी बीमारियोके लिअे अकेले रामनामको ही रामबाण इलाज बनाया जा सकता है। अुन्होने कहा "अिसकी पहली शर्त तो यह है कि रामनाम दिलके अन्दरसे निकलना चाहिये। लेकिन अिसका मतलब क्या? लोग अपनी शारीरिक बीमारियोका अिलाज खोजनेके लिअे दुनियाके आखिरी छोर तक जानेसे भी नही थकते, जब कि मन और आत्माकी बीमारियोके सामने ये शारीरिक बीमारिया बहुत कम महत्त्व रखती है। मनुष्यका भौतिक