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प्रार्थना-प्रवचनोंमें से


नही ला सका हू। जब वह हालत पैदा हो जायगी, तब तो रामनाम रटना भी जरूरी न रह जायगा।[१]

"मुझे अुम्मीद है कि मेरी गैरहाजिरीमे भी आप अपने घरोमे अलग-अलग और अेक साथ बैठकर रामनाम लेते रहेगे। सबके साथ मिलकर, सामूहिक रूपमे, प्रार्थना करनेका रहस्य यह है कि अुसका अेक-दूसरे पर जो शान्त प्रभाव पडता है, वह आध्यात्मिक अुन्नतिकी राहमे मददगार हो सकता है।"

––नअी दिल्ली, २६-५-'४६

रामनाम जैसा कोअी जादू नहीं

आजकी प्रार्थना-सभामे गाधीजीने कहा "रामनाम सिर्फ कुछ खास आदमियोके लिअे ही नहीं है, वह सबके लिअे है। जो रामका नाम लेता है, वह अपने लिअे अेक भारी खजाना जमा करता जाता है। और यह तो अेक अैसा खजाना है, जो कभी खूटता ही नही। जितना अिसमे से निकालो, अुतना बढता ही जाता है। अिसका अन्त ही नहीं है। और जैसा कि अुपनिषद् कहता है 'पूर्णमे से पूर्ण निकालो, तो पूर्ण ही बाकी रहता है', वैसे ही रामनाम तमाम बीमारियोका अेक शर्तिया अिलाज है, फिर चाहे वे शारीरिक हो, मानसिक हो, या आध्यात्मिक हो।

"लेकिन शर्त यह है कि रामनाम दिलसे निकले। क्या बुरे विचार आपके मनमे आते है? क्या काम या लोभ आपको सताते है? अगर अैसा है तो रामनाम जैसा कोअी जादू नही" और अुन्होने अपना मतलब अेक मिसाल देकर समझाया "फर्ज कीजिये कि आपके मनमे यह लालच पैदा होता है कि बगैर मेहनत किये, बेईमानीके तरीकेसे, आप लाखो रुपये कमा लें। लेकिन अगर आपको रामनाम पर श्रद्धा है, तो आप सोचेगे कि अपने बीबी-बच्चोके लिअे आप अैसी दौलत क्यो अिकट्ठी करे जिसे वे शायद अुडा दे? अच्छे चाल-चलन और अच्छी तालीम और ट्रेनिगके रूपमे अुनके


  1. मै अपने जीवनमे अैसे समयकी जरूर आशा करता हू, जब रामनामका जप भी अेक रुकावट हो जायगा। जब मै यह समझ लूगा कि राम वाणीसे परे है, तब मुझे अुसका नाम दोहरानेकी जरूरत नही रह जायगी।
    ––यग अिंडिया, १४-८-'२४