"तो आप यह जान ले कि पहले तो अीश्वर अपने भक्तको मुसीबतोसे बचा ही लेता है, और अगर मुसीबत आ ही पडे, तो भक्त शान्तिसे अीश्वर की मरजीके सामने सिर झुकाकर खुशी-खुशी अुसे सह लेता है।"
––नअी दिल्ली, २०-६-'४६
रामनामका महत्त्व
आजकी प्रार्थना-सभामे गाधीजीने पूछा "क्या मै अेक नअी किस्मके अन्ध-विश्वासका प्रचार कर रहा हू? अीश्वर कोअी व्यक्ति नही। वह सब जगह मौजूद है और सर्वशक्तिमान है। जो भी कोअी अुसे अपने दिलमे जगह देता है, वह अुसी अजीब आशाओं और अुमगोसे भर जाता है, जिनकी ताकतका मुकाबला भाप और बिजलीकी ताकतसे नही किया जा सकता। वह ताकत तो अुससे भी ज्यादा सूक्ष्म होती है। रामनाम कोअी जादू-टोना नही है। वह तो अपने समूचे अर्थके साथ ही लिया जाना चाहिये। रामनाम गणितका एक अैसा सूत्र या फॉर्मूला है, जो थोडेमे बेहिसाब खोज और तजरबे (प्रयोग) को जाहिर कर देता है। सिर्फ मुहसे रामनाम रटनेसे कोई ताकत नही मिलती। ताकत पानेके लिअे यह जरूरी है कि सोच-समझकर नाम जपा जाय और जपकी शतोंका पालन करते हुअे जिन्दगी बिताअी जाय। अीश्वरका नाम लेनेके लिअे मनुष्यको अीश्वरमय या खुदाकी जिन्दगी बितानी चाहिये।"
––पूना, २-७-'४६
भीतरी और बाहरी सफाअी
आजकी प्रार्थना-सभा मे गाधीजी ने हरिजन-बस्तीके आसपासकी गन्दगीका ज़िक्र किया, जिसमे वे रहते थे। अुन्होने कहा "यहा मैं अेक ओवरसीयरके मकानमे रहता हू। मेरी समझमे नही आता कि क्यो ये ओवरसीयर और यहाकी सफाअी का अिन्तजाम करनेवाले यानी म्युनिसिपैलिटी और पी॰ डब्ल्यु॰ डी॰ के लोग अिस सारी गन्दगीको बरदाश्त करते है। मेरे यहा आने और रहनेसे फायदा ही क्या, अगर मैं अिस जगह को साफ और स्वास्थ्यप्रद बनानेके लिअे अुन्हे समझा न सकू?