है। लेकिन मेरा यह भी विश्वास है कि रामनाम ही सारी बीमारियोका सबसे बड़ा अिलाज है। अिसलिए वह सारे अिलाजोसे अूपर है। चारो तरफसे मुझे घेरनेवाली आग की लपटोके बीच तो भगवानमे जीती-जागती श्रद्धाकी मुझे सबसे बड़ी जरूरत है। वही लोगोको इस आगको बुझानेकी शक्ति दे सकता है। अगर भगवानको मुझसे काम लेना होगा, तो वह मुझे जिन्दा रखेगा, वर्ना मुझे अपने पास बुला लेगा।
"आपने अभी जो भजन सुना है, अुसमे कविने मनुष्यको कभी रामनाम न भूलनेका उपदेश दिया है। भगवान ही मनुष्यका एक आसरा है। अिसलिअे आजके सकटमे मै अपने-आपको पूरी तरह भगवानके भरोसे छोड़ देना चाहता हूँ और शरीर की बीमारीके लिअे किसी तरहकी डॉक्टरी मदद नही लेना चाहता।"
––नअी दिल्ली, १८-१०-४७
रोजके विचार
बीमारी मात्र मनुष्यके लिअे शरमकी बात होनी चाहिये। बीमारी किसी भी दोषकी सूचक है। जिसका तन और मन सर्वथा स्वस्थ है, अुसे बीमारी होनी ही नही चाहिये।
––सेवाग्राम, २६-१२-'४४
विकारी विचार भी बीमारीकी निशानी है। अिसलिअे हम सब विकारी विचारसे बचते रहे।
––सेवाग्राम, २७-१२-'४४
विकारी विचारसे बचनेका एक अमोघ अुपाय रामनाम है। नाम कंठसे ही नही, किन्तु हृदय से निकलना चाहिये।
––सेवाग्राम, २८-१२-'४४
व्याधि अनेक है, वैद्य अनेक है, अुपचार भी अनेक है। अगर सारी व्याधिको अेक ही माने और उसका मिटानेहारा वैद्य अेक राम ही है अैसा समझे, तो हम बहुत-सी झंझटोसे बच जाय।
––सेवाग्राम, २९-१२-'४४