दो पत्र
यरवडा मन्दिर
१२-११-१९३०
प्रिय
शरीर की तन्दुरुस्ती के लिअे तुम्हे कटिस्नान और सूर्यस्नान लेना चाहिये। और मन की शान्ति के लिअे रामनाम सबसे बढ़िया अिलाज है। जब कोअी विकार तुम्हें तकलीफ़ दे, तब अपने आप पर संयम रखो। अीश्वर के प्रकाश में चलने का अेक ही रास्ता है, और वह है अुसकी पैदा की हुअी सृष्टि की सेवा करना। अीश्वर की कृपा या प्रकाश का अिससे दूसरा कोअी अर्थ ही नहीं है।
बापू के आशीर्वाद
२
सेवाग्राम,
९-१-१९४५
प्रिय
तुम्हारा पत्र मिला। तुम अच्छे होते हो या नहीं––अिसकी क्या परवाह है? हम जितना ज्यादा अीश्वर पर आधार रखेंगे, अुतनी ही ज्यादा मानसिक शान्ति हमें मिलेगी। बेशक, वैद्य और डॉक्टर तो हैं ही, लेकिन वे हमें अीश्वर से बहुत दूर ले जाते हैं। अिसलिए मैंने तुम्हें वहाँ भेजना ज्यादा पसन्द किया। कुदरती अिलाज हमें अीश्वर के ज्यादा नज़दीक ले जाता है। अगर हम उसके बिना भी काम चला सके, तो मैं अुसका कोअी विरोध नहीं करूँगा। लेकिन उपवास से हम क्यों डरें या शुद्ध हवा से क्यों बचें? कुदरती अिलाज का मतलब है कुदरत––अीश्वर––के ज्यादा नज़दीक जाना। देखें मैं अिसमें कितना सफल होता हूँ। मैं सचमुच शक्ति से बाहर काम नहीं करूँगा।
बापू के आशीर्वाद
६९