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(२०६ अजमेर के छह सामंत के अधिकार में थी । तदुपरान्त पृथ्वीराजविजय, हम्मीरसहाब्द’ और ‘सुर्जनचरित्र 3 के आधार पर वे पृथ्वीराज की माता का नाम कसूदेवी बतलाते हैं जो त्रिपुरा ( चेदि अर्थात् जबलपुर के अत-पास के प्रदेश की राजधानी के हैहय ( कलचुरी ) वंशी राजा तेजल (अवतरराज) की पुत्री थी; जिसे सुर्जनचरित्रकार चन्द्रशेखर दक्षिा के कुंतल देश के राजा की पुत्री कहते हैं । अोझा जी के मत का खंडन करते हुए म० भ० दीक्षित जी ने लिखा-- *सोमेश्वर के विवाह सम्बन्ध में इतना कहना पर्याप्त हैं कि राजा के अनेक विवाह होते थे। दिल्ली को अजमेरनरेश के अधीन मान लेने पर भी दिल्ली नरेश अजमेरनरेश के यहाँ विवाह नहीं करेगा, यह नहीं सिद्ध होता है। यौर जिस पृथ्वीराज्यकाव्य के आधार पर वे वैसा यारोप करते हैं वही सन्दिग्धास्पद है।४।। १, इति साहससाहचर्यचर्यस्समयज्ञैः प्र [ तिपादि ]तप्रभावाम् । तनयः च सपादलक्षपुण्यैरुपयेथे त्रिपुरीपुर [न्द] रस्य ।। [१६], सर्ग७; पृथ्वी पृवित्रतां नेतु' राजशब्दं कृतार्थताम् । चतुर्वणधनं नाम पृथ्वीराज इति व्यधात् ।। [३०], मुक्त यति सुधवा बंशं गलत्पुरुषमौक्तिकं । देवं सोमेश्वर द्रष्टु' राजश्रीरुदकण्ठत ।। [५] अात्मजाभ्यामिव यश: प्रतापाभ्यामिवान्वितः । सपादलक्षमानिन्थे महामात्यैर्महीपतिः ।। [ ५८], कपू‘रदेव्यथादाय दानभौगादिवासजौ । विवेशाज्ञराजस्व संपन्नूर्तिभती पुरीम् ।। ५८], 'सर्ग ८ ; २. इलाविताली जयति स्म तस्मात् सोमेश्वरोऽनश्वरनीतिरीतिः || ६७•••• कपुरदेवीति बभूव तस्य प्रिया [ प्रिया] राधनसावधाना || ७२, सर्ग २ ; ३. शकुन्तलाभां गुणरूपशील: स कुन्तलानामधिपस्य पुत्रीम् ।। पूरबारां जनलोचनानां | कपुरदेवीमुद्वाह विद्वान् ।। ४, सर्ग १; ४, पृथ्वीराजरासौ और चंद बरदाई, सरस्वती, नवंबर सन् १९३४ ई०, ध्रु० ४५८ ;