पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/२७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(३४)

________________

शब्दार्थ-० २७---वह बह-वाह वा। रघुबंस राम-रघुवंशी राम के लिये अयर है जिसके विषय में रासो में लिखा है--जिहि नदिपुर मंज़ि' । रघुवंशी राजपूत अपनी उत्पत्ति अयोध्या के रघुवंशी राजा रघु से बताते हैं । रघुवंशी राजपूतों की जाति उत्तरी पश्चिमी प्रदेशों में फैली हुई है। मैनपुरी और एटा के रघुवंशियों का कथन है कि वे राजा जयचन्द के समय कन्नौज से आये थे' [ Hindu Tribes and Castes. Sherring. Vol. I, pp. 210-11 ] । हुक्कारि स उठ्यौ = चिल्लाता हुआ उठा । साहि ये= शाह के आने पर बत छुट्यौ = तुम्हारा बल छूट गया अर्थात् तुम्हारा साहस जाता रहा । [ साहि ये बल छुट्यौ == शाह अा गया है उसकी सेना चल चुकी हैह्योर्नले] । न'काकाक्ष अलंकार है; (न समौ असमौ जानहि न लज्ज पंकै आलुज्झै )। लुझै-उलझना, हँसना । पंकै-कीचड़ में लज्जाज्जा । मत्त= मत । गहुँ पकड़ना । तौ करन कौतभी कर्ण का बेटा हूँ ।। | रू० २८ = ऐ । गुज्जर गांवांर----यह रखुवंशी राम के लिये यहाँ प्रयुक्त हुआ है। यद्यपि कविता में वक्ता का नाम नहीं दिया पर जहाँ तक सम्भव है यह जैत अमार ही है। अप्प मरै = अप मरोगे । छिज्जै=विनाश करना । कौन कारज यह जोई-इससे तुम क्या कार्य होता देखते हो। घर घिल्लै =(१) स्लिल जाना, फूट जाना (अर्थात् महाराज के घर में फूट पड़ जाय) (२) घर में जाकर अानंद करें-ह्योनले । कारज<कार्य । पछि-पीछे । काजकार्य } इकल्लै = अकेले। गाइना=गायक। वारि= वेश्या । “बर<सं० * भ्रमर । झन < सं० कर्णकान । वह सोस लहः= (Does Iae get beauty ? No.) Growse. प्रस्तुत कवित्त की अंतिम चार पंक्तियों का अर्थ ह्योनले महोदय ने इस प्रकार किया है.--१६ A11 servants of the Chahiyan will beta.ke themselves to their own country and enjoy themselves at home, afterwards what can the king accomplish being alone in the war? Scholars, soldiers, poets, singers, princes, merchants constitute (the king's) court, adorning it like the black bees on the head of an elephant; when he makes them fly around by flapping his ears, he gets beauty, नोट-रू० २३ से रू० २८ तक पृथ्वीराज के लाहौर लौटते समय उनके दरबार की युद्ध विषयक मंत्री का हाल है, दरबार में दो प्रकार के सुझाव रखे गये। एक मत यह था कि शीघ्र ही जो कुछ सेना है उसे लेकर पृथ्वीराज