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नोट---अगले रू० ५ ० तक पढ़ने से ज्ञात होता है कि गोरी ने चिनाब नदी रात में पार की थी। | रू० ३७---पंचा सजि=पाँच भागों में सजाकर। नृपति=राजा (पृथ्वीराज के लिये अया है)। थटि=डटकर मुझे (<से मुक्ति)=छोड़ा । दरबार यहाँ चंद पुंडीर के साथियों के लिये आया जान पड़ता है। बंधि=बँध जाना है। | रू० ३८–ततार<तातार ( देश का रहने वाला )। तातार तुर्क थे। तुर्क जाति की दो मुख्य शाखायें तातार और मंगोल (=मुग़ल ) हैं । षिलची <लिलजी-थे तुर्कों की प्रशाखा में हैं। वितजियों का संबंध तातारियों और मुग़लों से मिलना अनिश्चित है । ('Tabaqat-i-Nasiri. Trans. Raverty, pp.873-78 में बिलजियों का वि० वि० मिलेगा ) । गड्= एकत्र होना चामर छत्र=चाँवर और छुत्र ! मुजक्क अ०<!.av=फल, पहिचान, विशेष । गोल<अ० J==विभाग, व्यूह । नारि<नालिक = बड़ी तोप } गोरि=गोली, गोला। जंबूर<अ० 899;=छोटी तोप ! सुबर=सुसज्जित किया ! गज सारं= गज विभाग, चुने हुए हाथी', ह्योर्नले ) । हुजब<० ==खवासों का सरदार ! सिर भारं = सिर पर भार रक्खा (या---उत्तरदायित्व सौंपा) । वजीर-- यह वज़ीरस्तान का निवासी हो सकता है। बहुत संभव है कि तबकाते नासिरी वाला असदउद्दीन शेर वज़ीरी यही हो । विंय = दूसरी । सेन सजि= सेना सजाई । हरबल<तु०JI}}-(हरावल) = सेना को अग्र भाग, सेना के अग्र गामी सैनिकों का समूह:{ ह्योनले महोदय ने हरबल का अर्थ हलबल' करके जल्दी या शीघ्रता करना' लिखा है जो यहाँ सार्थक नहीं है )। रासो में हरबल' शब्द तुर्की हरावल के अर्थ में अनेक स्थानों पर आया है । उभौ = उपस्थित थी । नोट-( १ )..उसने कहा कि इस प्रकार शाह की अवाई का समाचार सुनकर पचास हज़ार सेना के साथ चंद पुंडीर ने नदी का नाका जो बाँध है और मुझे आपके पास भेजा है। चंद पंडीर को रास्ते में डटा हुआ देखकर शहाबुद्दीन ने मारूफ वाँ, ततारवाँ, खिलची वाँ, नूरी राँ, हुजीब ख़ाँ, महम्मद बाँ आदि सरदारों से गोष्ठी करके अपने सरदारों को दो भागों में बाँटा । महमूद ख़ाँ, मंगोल लल्लरी, सहबाज ख़ाँ, जहाँगीर एवं, आदि सेना नायक और निज पुत्र सहित एक सेना को लेकर सुलतान ने तो चिनाबे पार करने की तय्यारी की और आलम , मारूक बाँ, उजबक वाँ अादिं तीस यवन वीरों को कुछ सेना सहित उस पर अपनी सुहायता के लिये रक्खा ! सौ-सार, पृष्ठ १००-१०१ ।