पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/२८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(४८)

________________

१ ४८ ) म्लेच्छों ने (हिन्दुओं की सेना पर अपनी सेना से उसी प्रकार) बड़े उत्साहपूर्वक घेरा डाला मानौ घेरनी पक्षी फेरा देकर कबूतर पर झपटा हो। वक्षस्थल को फोड़कर उसकी शोभा नष्ट करती हुई बरछी दूसरी ओर निकल आई मानो जाल से स्वतन्त्र होने के प्रयत्न में आधी निकली हुई मछली हो । एक दूसरे से मिले हुए (एक पंक्ति में) हंस शादि जिस प्रकार शौर करते हुए आगे बढ़ते हैं उसी प्रकार रौद्र रस में भीग कर शूरवीर (युद्धभुमि में क्या बढ़ रहे हैं) मानो चौगान खेल रहे हैं। सर में बरछी लगते ही वहीं पर भेजा निकल पड़ता है जिसको कौए बड़े आनन्दपूर्वक भात की तरह खाते हैं। छं० ५० } धैर्यवान् योद्धा मारो-सारो कहते हैं । (युद्धभूमि में) बाण वर्षा की झड़ी के समान बरस रहे हैं । (अंत में) पुंडीर बंशी पाँच वीरों के गिरने पर चंद पुंडीर ने मुकाबिला छोड़ दिया और तभी शाह ग़ोरी चिनाब से आगे बड़ा । छं० ५१ ।। शब्दार्थ---८० ४३-मीरं< फा० ३-० (मीर)= सेनानायक । नेज< फा० ४ (नेजा)=बरछी [२० Plate No, IIT) गड्यौगाड़े हुए था । ठक्के ==ठिठुके हुए } पंडीर=पंडीरवंशी । करी-की, ठीक की । अनि=आज्ञा; [अनि<अनी=सेना। करी<करि=हाथी । करी अनि साहीत्र सा वंधि गोरी-गौरी साहाब शाह ने आक्रमणकारी सेना ठीक की---ह्योनले । सजोरी बलपूर्वक । दोन<अ० ०:३5 (दोन)=धर्म । दीन दीनंदीन दीन्द चिल्लाते हुए। कढ़ी निकाली । बंकि सं० वक्र = टेढ़ी । असी<सं० असि= तलवार ! बीज = बिजली। बीजकोटिन्निकस्सीं-करोड़ों बिजलियाँ निकल आई। सिप्पुर <फा० ० (सिपर)=ढाल विशेष (दै० Plate No, III]। केर-छेदकर । सेलेबरछी । अग्ग=अगली ! बद्द= बादल । नागिन -- अनगिनती । नग्गी नाग (पर्वत)]= पर्वतों की चोटियाँ । किंध बद्दर कोर नागिन नरगी=मानों बादलों को छेदकर अनगिनती बादलों की चोटियाँ घुस गई हों ; (मानों नंगी नागिने बादलों में घुस गई हों-ह्योनले) । हबक्कै = हेबककर (=बड़े लालच से या बड़े उत्साह से) । मेॐ<सं० लेछ । भ्रमंतं जु छुई छूटकर जो घूमे (अर्थात् जो अपनी सेना से उन्होंने हिन्दुओं को घेरा) । घेरनी पत्नी विशेष ! चुम्मि= धूमकर। परेव<पारावत= कबूतर । तु= टूटना, झपटना । उरं फुट्टिवक्षस्थल को फोड़कर ) लटक्कै जुरंने एक दूसरे से संबद्ध । उड़ हंस हल्लैहंस (आदि चिड़ियाँ जिस प्रकार) शोर करते हुए उड़ते हैं। रस भीजि=(ौद्र) रस में भीगकर | सूर-शूरवीर चग्गनिचौगान, पोलो [६० Plate No. IT] ।