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गये । युद्ध में प्रवल दोनों वीरों ने दोनों हाथों से तलवारें उठा ली है। ( अंत में लड़ते लड़ते ) चालुक्य की तलवार टूट गई और तव उसने कमर से कटार खींच ली । परन्तु बैरियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया और अधम युद्ध होने लगा । सारंग के बंधु के अनेक घाव लगे जिससे वह गिर पड़ा और गोरी ने उस पर मरने वाला वार किया ( अर्थात् शौरी ने उसे मार डाला )। | शब्दार्थ-रू० ६५--सोलंकी ( या चालुक्क )-राजपूतों की जाति विशेष । अन्हिलवाड़ापट्टन गुजरात में राज्य करने वाले इसी राजपूत कुल के थे । भीमदेव द्वितीय उपनाम भोला जयचंद के बाद नृथ्वीराज का भयानक प्रतिद्वंदी था। अपने पिता सोमेश्वर की हत्या का बदला लेने के लिये चंद कवि का कथन है कि पृथ्वीराज ने भीमदेव को युद्ध में मार डाला ( रासोसम्बौ ४४) । यह बात रासभाला' ( Rasmala. Forbes Yo, i, pp. 221-30 } से भी प्रतिपादित होती हैं। साथ ही चंद ने मदेव के पुत्र कच्च चालुक्कराव या कराराय-चालुक्क-पहु के विषय में लिखा है कि संयोगिता अपहरण' वाले युद्ध में वह भी पृथ्वीराज के साथ था और उसी युद्ध में गंगा में डूब गया [रास सम्यौ ६१ तथा Asiatic Journal, Tod, Vol. XXY, pp. 106, 282] । कुछ भी हो यह बात निर्विवाद सिद्ध है कि सोलंकी वंश के अनेक राजकुमार पृथ्वीराज के सामंत थे । माधव सोलंकी भी इन्हीं में था और दूसरा सारंग था जिसका वर्णन अगले छु० ७० में आता है। सोलंकी या चालुक्य राजपूत वंश छत्तीस उच्च राजवरानी में था तथा रे अनि कुलों में एक था । [ सोलंकियों का वि० वि० देखिये---Rajastlian Toci. Voi. I, pp. 27, 100; Hindu Tribes and Castes. Sherring. Vol. 1, pp. 156-58; Races of N, }}, India, 11iot, Vol. I, p, 50 ]। बिलची= खिलजी वाँ । सुध लगा = सामने आया; मुक़ाबिल छु । सुबर बीर रस बी = सुभट वीररस में तौ वीर थे ही । वीर वीर रस परगा = वीर वीर-रस में पग गरे । दुअन बुद्ध जुध== युद्ध में दक्ष दोनों ने । तेग = तलवार । उपभारिय = उभारी अर्थात् उठाई । तुठ्ठि - टूट गई ।। चालुक्य---सोलंकी माधव राय के लिये आया है । ब सं० चरित - कमर । बथ्थबक्षस्थल == छाती ]। कढि = काढ़ना, खींच लेना । कटारिया == कटार [ दे० Plate No. III । सारंग वैव= सारंग का संबंधी; सारं ( तलवार ) + बंध (बाँधने वाला ); सारंग (तलवार) + दाँध ( वार, घाव }} दिन्नौ मरन= मरने वाला अाघात किया ।