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( ४ ) में हम इसका नाम कनक हुङ पढ़ते हैं । यह गुहिलोत वंश का था। हुड' गुहिलोत राजपूतों की एक पदवी थी जिसका प्रयोग समरसिंह और गरुझी शोविंद के साथ अधिक मिलता है । रात में शाहु पति अौर हुई नरेश नाम भी पाये जाते हैं। प्रस्तुत कुवित्त में आया हुआ इंद' प्रसिद्ध गरु गोबिंद समझ पड़ता है और यदि यह सच है तो उसके दो संबंधी इस युद्ध में मारे गये 1 [ हुई का अर्थ हैंठना' संभव तो था परन्तु आहुड सामंत का पूरा विवरण मिल जाने से ऐंठना’ अर्थ अच्छा नहीं है। हुड ऐंठना----अर्थ करके भी अनुवाद में अर्थ लिख दिया गया है परन्तु उसका विशेष मूल्य नहीं हैं। । अध्धै ( या अं३) सं० +कश= खींचना । अष्दै सं० अक्षय] । कबिल पील कुवलया पीड़-यह कंस का हाथी था जिसे कृष्ण ने दाँत तोड़कर मार डाला था । वास्तव में यह दैत्य था परन्तु शोध वश हाथी हो गया था [ वि० वि०---महाभारत, भागवत' दशम स्कंध ]} दारुन दहि-दारुण कष्ट देकर दंत= दाँत । नमैं नष्ट करना, तोड़ना । संड = हाथी । अँड–खंड, टूटना । मुक्यौ=छोड़ना । गिद्ध = पक्षी विशेष जो बड़ी दूर तक देख सकता है । मरे हुए पशु ही इसका प्रहार हैं। सिद्ध-जिसले यौन या तप द्वारा अलौकिक लाभ या सिद्धि प्राप्त की हो । सिद्धों का निवासस्थान भुबलक कहा गया है। वायु पुराण के अनुसार इनकी संख्या अट्टासी हज़ार है। और ये सूर्य के उत्तर और सप्तर्षि के दक्षिण अंतरिक्ष में वास करते हैं ! ये एक कल्प भर तक के लिये अमर कहे गये हैं कहीं कहीं सिद्धों का निवास स्थान गंधर्व किन्नर आदि के समान हिमालय पर्वत भी कहा गया हैं। परन्तु प्रस्तुत कत्ति में वर्णित शव भज्ञी सिद्ध, कापालिक या अवोर पंथी थोगियों से तात्पर्य है । सिद्ध का अर्थ सिद्धि भी हो सकता है । ये सिद्धि, छप्पर वाली योगिनियाँ हैं जो दुर्गा की परिचारिकायें कही जाती हैं तथा युद्ध भूमि में घूमने वाली मानी गई हैं। बेताल---सं० वेताल-पुराणों के अनुसार भूतों की एक प्रकार की योनि । इस योनि के भूत साधारण भूतों के प्रधान माने जाते हैं और स्मशानों में रहते हैं । अाइ अनि पल रूक्यौ-श्राकर अाँखों के पास रुक गये ( या—ाकर उसपर अपनी दृष्टि जमाई ) कि कच यह मरे और खाने को मिले । लोह-तलवार { लहरि-लहर, (यहाँ तलवारों के चार से तात्पर्य है । ) लागत = लेने से । भुल्यौ= झूल गया थ' अर्थात् स्थान स्थान पर घाव लगने से झंझरी हो गया था । संम्ही सामने । सुक्रत< सुकृत्-सुदर (वीरोचित) कार्थे । सिंह हक्कि= सिंह सदृश हुक्कार या गरजा) । अंबरकाश । डुल्यौ =डोल गया, काँप उठा।