पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/३३८

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तहँ गिद्धारव रुरिग ! अंत गहि अंतह लगिग । तर नि तेज रस बसह । पवन पवन घन बज्जिग !! तिहि नाद ईस मथ्यौ धुन्यौ अमिथ बंद ससि उल्लस्यौ ।। विड धवल संकिय रावरि । टरिय गंग संकर हस्य ||सम्यौ६१,छं०२३७२। | लष्यन= सुलखे प्रसार का पिता ऋौर श्रावू तथा बार के प्रमार वंशी राजकुमार जैतसिंह की संबंधी था । झगरी= झगड़ते हुए। सहसाथ देवि= देवी महामाया---दुर्गा । ये भी युद्ध में पहुंचने वाली कही गई हैं वे० वि०प० में देखिये ! नोट- यदि अप्सरा वीर लखन को ले जाती तो उसे पुनर्जन्म लेना पृडता परन्तु महामाया के ले जाने से वह आवागमन के बंधन से मुक्त हो गया ] । अवतर' न= अवतार ( जन्म ) न लेना । उतपति गयौ ==उत्पत्ति से बेच गया । बिभ्रंम = आश्चर्य । जस लोक=<संयमलोक --वह लोक जहाँ मरने के उपरांत प्राणी जाते हैं। शिवपुर=(शिवलोक)---शिव जी का लोक, कैलाश । [उ०---सोने मँदिर सवाँरई र चॅदन स लीप { दिया जो मन शिव लोक महँ उपना सिंहल दीप ।। जायसी । ब्रह्मपुरःसं० ब्रह्मलोक---(१) वह लोक जहाँ ब्रह्मा रहते हैं (२) मोक्ष का एक भेद । कहते हैं कि जो प्राणी देवयान पथ से ब्रह्म लोक को प्राप्त होते हैं उन्हें इस लोक में फिर जन्म नहीं ग्रहण करना पड़ता । भान थान = सूर्य स्थान अर्थात् सूर्य कि । भानै भियौ=सूर्य में ही प्रवेश कर गया । बिसं० वqउगा, उत्पन्न हुयी ।। नोट---(१) श्री टाँड महोदय ने इस कवित्त का अनुवाद इस प्रकार किया है-- "The brother of Jait lay slain in the field, Sulakh the seed of Lakhan. Where he fell Dlahamava lierself descended and mingled in the fight, uttering lorril shrieks. Innumerable vultures took flight from the field. In her talons she bore the lead of Sulakha, but the Apsaras descended to seize it from the unclean. Her heart desired but she obtained it not! Where did it go? For Sulakha will have no second birth. It cause amazement to the gods, for he entered one of their abodes. He was not seen in Yama's realm, not in the heaven of Siva, not in the Moon, nor in the Brahinapur, nor in the abode of Vishnu. Where then had be gone? To the realm of Sun."