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( ११६ ) वाहिनी | दुग ] अपने अनेक मुख से हुंकारी हों। [ युद्ध छिड़ गया ] एकै और दो तेजस्वी श्रेष्ठ मीर थे और दूसरी ओर सिंहवाहिनी ( की उपमा पाने वाले या सिंहवाह राजपूत का ) का एक सर था [ अर्थात् दूसरी ओर अकेला चिड्र था । [ आखिरकार बिड्डुर का ] शिरलाण टूट कर बिखर गया और चंद को उससे उपमा मिली। उसके सर के दो टुकड़े करता हुआ भाला जैसे ही ल। मानों पति श्रृंबा पर बिजली गिरी हो, परन्तु उस ( सिर , की शोभा नष्ट नहीं हुई; सिर दो टुकड़े होकर भी ऐसा शोभायमान रही मानों तेजस्वी उड्डुगए प ( अर्थात् चंद्रमा ) हो । शब्दार्थ-रू० ८३---मनि लोह = तोह' ( तलवार ) मान के अर्थात् अपनी तलवार चलाने की कुशलता पर विश्वास करके ! मारूफ = तातार मारूफ खाँ । विड्डर = विवाह नाम की एक राजपूत जाति कही जाती है। परन्तु अब उसका कहीं पता नहीं लगता। संभव है कि विड्डुर सिंघवाह राजपूत था, तभी चंद का कथन है कि विवाह (=सिंह पर चढ़ने वाला) दिड्डुर उसी प्रकार गरजा जैसे सिंहवाहिनो हुकारती हैं। एक और दो मीर थे और दूसरी ओर सिंघद्वाही [ अर्थात् सिंधवाह राजपूत या सिंहवाहिनी दुर्गा की उपमा पाने वाले ] का एक सर था--अर्थात् विड्डर अकेला था । चंद ने सिंहवाह' शब्द के अर्थ का चमत्कार प्रस्तुत रूपक में दिखा दिया है । गाहक्के< हिं० गहक = लपकना ( बड़े चाव से )। पंचानन=सिंह [ नोट--- सिंह को पंचानन कहने के दो कारण कहे जाते हैं। कुछ लोग ऐच शब्द का अर्थ विस्तृत करके पंचनिन' का अर्थ चौड़े मुख वाला’ करते हैं; और कुछ लोग चारों पंजों को जोड़कर पाँचवाँ मैं हैं गिना देते हैं ] चाहि= वाहिनी । पंचानन वाहि=सिंहवाहिनी ( दुर्ग ) [ वि० वि० प० में ] ( उ०---- *रूप रस एवी महादेवी देव देवन की सिंहासन बैठी सोहैं सिंहबाहिनी । देब ) । सई<सं० शब्द । सद्द<सद<सं० शत-सौ । सिर सदसौ सिर ( अर्थात् अनेक सर ) । हहक्के-हहकना, गरजना, हुंकारना। बरकरी=वरक गया। टीप दुट्टि बरकरी टोप टूटकर बिखर गयो । हेत<सं० हेतिमाला । तुटि=zटना । बीय=दोनों । अंग<सं० शृङ्ग=पति की चोटी । बिजुलह=बिजली । भाम= शोभा न=नहीं । हति = [हतना (=नष्ट करना) के भूत' कालिक कृदंत का स्त्री लिंग रूप है, ] नष्ट हुई ! भाम न हति = शोभा नष्ट नहीं हुई । उत= उधर । मंग = माँग ( यहाँ सिर से तात्पर्य है )। उतमंग=सुस्तक । सुहै-शोभायमान हुआ । बिव-दो । टूक हे टुकड़े होकर } उडगन नृप= चंद्रमा । तेजमति (तेजम -+अति) अति तेजस्वी ! इस कवित्त की अंतिम पंक्ति के अंतिम चरण