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( १२६ } निडर, निर्भय । नवं<नष्ट ( करनः ) । माल्हेंन= पल्हन का बंधु: इसकी मृत्यु की बर्णन रू० ६९ में है । राजी= राजा, नायक क्रमं सत्त भाज=क्रम से (एक के बाद एक) सात (ोरी के योद्धा) भाग खड़े हुए। सारंग=यह सारंग सोलंकी ( या चालुक्य } माधव का संबंधी है जिसकी मृत्यु का बर्शन रू० ७० में हो चुकी है। वहीं हम पढ़ते हैं कि वह चौहान के साथ रहने लगा था । सौर <फा० *=शोर करता, चिल्लाता हुआ । भट्टी--अभी तक भट्टी नाम को कोई वदर नहीं मार गया है। जहाँ तक अनुमान है यह रू० ६७ में वर्णित पत्तंग जयसिंह के लिये झाया हैं जिसकी जाति का दान वहाँ नहीं बताया गया है। यहाँ इस भट्टी के लिये लिखा है कि उसने मरते मरते पाँच शत्रुओं को मार डाला और यही बात हम जयसिंह के विपर्य में पढ़ते हैं। यह भी संभव है कि यह रू० ५८ में आने वाला भट्टी हो । भान पुंडीर--यह वही बीर है। जिसकी मृत्यु का वर्णन रू० ६८ में हैं। सोमचंद्र । कामं=इच्छा । सोम कार्म= चंद्रलोक की इच्छा करने वाला; या–सोम (<सं० सौम्य )+कामं (<कार्य-काम) करने वाला] । जुझते<जूझते=युद्ध करते करते । बबयौ= बज गये (या बीत गये) } पंच जामं - पाँच पहर ( या ) । राउ परसंग लहु बंध भाई----यह संभवत: बिड्डुर के लिये आया है जिसकी मृत्यु रू० ८३ में वर्णित है। भाई’ का अर्थ संबंधी’ न लेकर भाई लेने से यह सुविधा सामने आती है कि राव पुरसंग चौहानों की एक शाखा खीची वंश का राजपूत था और विड्डर 'सिंघवाह' राजपूत था । जिनं सुक्रि अंसं छिदं सद्धि पाई. जिसने क्षण भर (के संझ : बीच) में मुक्ति का अंश पाया अर्थात् जो क्षण भर के अंदर ( शवागमन से ) मुक्त हो गया ( था, जो क्षण भर के अन्दर मारा गया है। कुसादे<फा०,०८.१ ; Infinitive 95 से Pastt ense slow Wat zit 3 Past participle **5(Haviag opened बन गया ] । चवै ( चवय)<सं अव=चूना, बना, ( परन्तु यहाँ ‘कहना' से तात्पर्य है ) । भुष्य<हि० मुख =ह । नोट-प्रस्तुत कवित्त में ह्योनले महोदय का निम्न नोट सहायक होगा The object of the following lines is, as Chand himself tells us, to identify the thirteen chiefs who fell on the present occasion. For there is considerable difficulty in making the list, given here, to agree with the preceding narrative, which the list is apparently intended to sum up. There are