पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/३८४

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वीसइ<हि० बोस । जक्की<अ० (ज़की)=तेज़; (यहाँ अच्छी बनी हुई ढालों से तात्पर्य हैं)। नग मोतिय<नग सौती=ज मुक्ता । मानिक<सं० माणिक्य। नवल =न्थे । सलाह<फा o sl..सुलह । संमेल करि= मेल करके,शांति स्थापित कर । यहिराई=पहिना अदा कर! मनुहार=हिं० मन+हरना) आदर सत्कार करना । गजनवै=गज़नी के ईश अर्थात् शोरी को ज्ञनी में । सु घर= उसके घर । पृठयौं भेज दिया। ग़ज़नीअफगानिस्तान का एक नगर, [वि०वि० प० में। इति श्री कविचंद विरचिते प्रथिराज रासा के रेवाट मातिसाह अहनं नाम : सतावीसमो प्रस्ताव सपूरणं ॥२७॥ रेवातद सभ्य समाप्तं ।।