पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/३९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१५२)

________________

घोर हो उठा (८० ६८ । खुरासान वाँ ने पल्हन के संबंधो कुरंभ का सामना किया और अपनी लंबो तलवार ले उसका सर काट दिया, फिर कर के कटे हुए सर हे जब तक मारो मारो की ध्वनि होती रही तब तक उनका कबंध नाचता रहा । यह दृश्य देख कर भैरव अट्टहास कर उठे और पार्वती चकित रह गई (८० ६६) । त-तार वाँ ने हाथी को खूड़ उखाड़ने वाले ग्राहुइ को स्वर्ग भेजा (९० ७) ! नरसिंह का संबंधी शत्रु को मारकर उसकी कटार से बागल हो अपो तलदार से सहारा ले में चूक कर आहत होकर गिर पड़ा। उसको गिरते देख दाहर-तनवाडा (चामंडराय) भयंकर युद्ध करने लगा (८० ७२) । (अ तक) रात्रि हो चुकी थी (अस्तु) दोनों सेनाओं ने युद्ध बंद कर दिया । दूसरे दिन प्रात:काल होते ही चौहान विशाल शाल वृक्ष सदृश उठा (रू० ०३) । युद्ध प्रारंभ हुआ और सुलख का पिता लखन मारा गया । महामाया उसको ले गईं । इस वीर ने सूर्यलोक में स्थान पाया (रू०७४) । अप्सरायें देव बरण छोड़कर भू लोक में युद्ध भूमि पर आई और मरे हुए वीरों का वश करने लगीं (रू० ७५) । ईश (शिव) ने राम के संबंधी का श्रेष्ठ सर बड़े चाव से उठाया ( रू० ७६ ) । राम यौर रावण सरीखा युद्ध करने वाला योगी जंवारा भी मीण युद्ध करके स्वर्ग लोक गया ( रू० ७७-७८८ ) । अब सुलतान रोरी स्त्र शस्त्र से सुसजित होकर स्वयं जंग करने के लिये कुका । यह समाचार सुनकर लेगा-लं-राय सात मंतों को लेकर शुद्ध भूमि में पैंस पड़ा और अपनी तलवार चलाने की कुशलता से शत्रुओं की तुत्वारों की भू ) ढीली करने ला { ८० ७६ } } कुछ समय बाद लंगरी राय के एक नेत्र में छाया घुस गया और बायाँ हाथे कट गया तब भी वह बराबर शत्रु से ताड़त रहा ( रू० ८१ )। दूसरी ऋो लहान ने म्हट् की पीठ फाड़कर निकला हुआ बाण मारा और कटर लेकर झपटा ही था कि एक मीर ने तलवार के वार से उसे गिरा दिया ( रू० ८२ ) ! एक भौर और मारूफ इवाँ ने मिलकर विड्डर को मार डालः ( ८० ८३ ) । अब तक देरी के चौंसठ ज्ञान और पृथ्वीराज के तेरह श्रेष्ठ वीर काम आये ( रू० ८४ )। ( रात्रि होने से युद्ध बन्द हो गया यौर } दूसरे दिन रौरी ने दस हाथी आगे कि यौर तातार बाँ की आज्ञा पाते ही कुहक बाण और गोले बरसने लगे। इस पर पृथ्वीराज का हाथी भागने लगा और महाराज इब्ध हो उठे। उनको अस्थिर देख सामंतराण मोह त्याग कर वज्र सदृश तलवारों के वार करने लगे ( रू० ८५ } 1 मीर भी आधे आधे योजन दौड़ कर साँग चलाने लगे और ग़ोरी चक्र फेंकने वाले सैनिकों की चार पंक्तियों के आगे पाँच सौ शेल्लों को