पृष्ठ:Reva that prithiviraj raso - chandravardai.pdf/३९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१५३)

________________

करके सामंतों को घेरने लगा जामंत भी भिड़ गये और भयानक युद्ध करने लगे ( ८० ८६ } { खुर।सानी तातार व ने अपनी तसबीह तोड़ डाली । गोरी के हाथी चौहान की सेना में घुस गये और दो सौ तेरह प्राणी दबकर मरे, ( चौहान की ) पराजय के लक्षण दिखाई दिये तब श्रेष्ठ वीर भीम, सेना के एक भागको चतुरंगिणी बनाकर हाथी पर चढ़कर मोर्चे पर आया (रू० ८)। शत्रु सेनों का संहार करता था रघुवंशी राम मारा गया। हिन्दू और म्लेच्छ उलटे पलटे पड़े थे, रंभा र भैरव ताताथैई वाताथेई करके नीचते थे, गिद्ध मृतकों की तड़ियाँ खींचते थे, वीर पैर कटने पर तलवार के सहारे दौड़ते थे---बिलकुल देवासुर संग्राम सल्ला युद्ध हो रहा था ( रू० ८९ ) । (चौथे दिन संग्राम होने से पूर्व ) रंभाने मेनका से पूछा कि आज तुम्हारा चित्त क्यों भारी हैं? मेनका ने कहा कि आज पहुनाई करने का दिन आया हैं । शूरवीर वीरगति कर विमान में बैठ स्वर्गलोक जा रहे हैं। युद्ध भूमि में मैंने बहुत खोजा परन्तु मुझे अपना वर हूँदें नहीं मिल रहा है और यही मेरी चिन्ता का कारण है । रंभा ने उत्तर दिया कि ऐ मेनका वहाँ उस वीर को मत खोजो वह तो विमान में बैठ शिव और ब्रह्म लोक छोड़ता हुया सूर्य लोक गया है । इंद्र-वधू उसकी पूजा करने गई हैं। उसके समान आजतक न तो कोई वीर हुअा हैं और न होगा (रू.० ६०-६१) । (युद्ध प्रारंभ हुअा शौर) हुसेन नाँ के पीछे घोड़सवार लेना चल पड़ी। तातार मारूफ खाँ और अन्य खान एक साथ दौड़ने लगे तथा गोरी शत्रुओं (सामंतों) के संभु झूमने लगा। उसने हाथ में लरवात लेकर शौर मुट्ठी घुमाते हुए प्रण किया कि अाज पलटने तक यदि शत्रु को पराजित कर दू गा तभी शाह कहलाऊँगा ( ८० ६२ ) 1 ( इसके बाद ) गोरी ने सात बाण धनुप पर चढ़ाये । पहले बाण से उसने रघुवंश गुराई को हुना ( मारा ) दूसरे से उसने ताककर भीम भट्टी का भंजन किया और तीसरे से चौहान को घायल कर दिया। चौहान ने भी कमान सँभाल कर तीन बाण हाँथ में लिये परन्तु जब वे यह कर रहे थे तब तक गुजर ने गोरी को पकड़ लिया ( रू० १३) । हुसेन खाँ नष्ट कर डाला गया और गोरी तथा निसुरति खाँ झोली बनाकर डाल दिये गये । युद्धभूमि में चौहान की जय जयकार होने लगी । सुलतान गोरी हाथी पर बाँधकर दिल्ली ले जाया गया ( ० ६४ } } इस • समय चौहान का प्रताप मध्यान्ह सूर्य सदृश था ( रू० ६५ )। एक मास और तीन दिन संकट ( कारागार ) में रहने के उपरांत जब शाह के अमीरों ने प्रार्थना की और दंडस्वरूप नौ हजार घोड़े, सात सौ ऐराकी धड़े, अाठ सफेद हाथी, वीस दली हुई ढालें, गजमुक्ता और अनेको