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२-भौगोलिक-प्रसंग कनवज्ञ (>कन्नौज } कुब्ज या कन्याकुब्ज>प्रा० करोइज्ज अप० कनवजा> | हि० कन्नौज ] प्राचीन भारत की राजनीति में अधिक भाग लेने वाले नगरों में कन्नौज भी एक है। यह उत्तर प्रदेश के ज़िले फरूख़ाबाद का एक साधारण नगर गंगा के दाहिने किनारे पर अज्ञांश २७°५' उत्तर और देशांतर ७९° ५५' पूर्व में बसा हुआ है। इसके वैभव का पराभव हुए बहुत समय बीता । इस समृद्धिशाली नगर के खंडहर और नगर के चारों और के घने जंगल और नाले अपराधियों के सहायक और शरणागत हैं ।” [The Fast India Gazetteer. Walter Hamilton, (1823) Vol. I, p. 74] ।। | कन्नौज ने गुप्त वंश के पतन और मुस्लिम उत्थान के मध्य काल में बड़े-बड़े साम्राज्यों की उथल-पुथल देखी है। वाल्मीकीय रामायण में कन्नौज’ नास की उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है कि प्राचीन काल में राजा कुश ने विदर्भ ( अाधुनिक बरि ) राज की कन्या का पाणिग्रहण किया जिससे उसके चार पुत्र कुशानाभ, कुशांभ, अमूर्तराज और वसु हुए। प्रत्येक पुत्र ने अपने नाम से एक नगर बसाया। कुशानाभ ने ‘महोदय' ( जिसका कुशानाभ नमि की संस्कृत साहित्य में मिलता है।) नगर बसाया । कुशानाभ और घृताचि से एक सौ सुन्दर पुत्रियों का जन्म हुआ । एक दिन जब ये सब लड़कियाँ उन में खेल रहीं थीं तो ‘वायु’ ने न पर मुग्ध होकर एक साथ सबसे विवाह कर लेने का प्रस्ताव किया। लड़कियों ने इस प्रस्ताव का तीव्र तिरस्कार किया जिससे क्रोधित होकर वायु ने श्राप द्वारा उन सबको कुवड़ा कर दिया। तभी से इस नगर का नाम कन्याकुब्ज या कान्यकुब्ज हो गया । ऐतिहासिक दृष्टि से भले ही इस कथा का मूल्य न हो पर कन्नौज की प्राचीनता अवश्य निश्चित हो जाती है ।