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बाद से यह नगर कई बार बसा ग्रौर उजड़ा। सन् ११६ ३ में मुहम्मद ग़ोरी ने इस नगर पर अधिकार कर लिया, तभी से यह मुसलमान बादशाहों की राजधानी हो गया । सन् १३६.८ में इसे तैमूर ने ध्वंस किया और सन् १५२६ में बाबर ने इस पर अधिकार कर लिया । सन् १८०३ में इस पर अँगरेज़ों का अधिकार हो गया । सन् १८५७ के विद्रोह में दिल्ली भी बागियों का एक केन्द्र था। ग़दर के बाद फिर अँग्रेज़ी हुकूमत में आया । पहले अँग्रेजी भारत की राजधानी कलकत्ता में थी; पर सन् १९१२ से उठकर दिल्ली चली गई । अाजकले वर्तमान दिल्ली के पास एक नईदिल्ली बस गई है । | महाराज पृथ्वीराज चौहान नृतोय के दुर्ग और उसके प्राचीर के ध्वंस आज भी दिल्ली के अंतिम हिन्दू सम्राट की गाथा अमर बनाये हुए हैं। देवग्गिरि <देव गिरि] । दक्षिण का यह प्राचीन नगर जो आजकल दौलताबाद कहलाता है। [ Hindostan, Hamilton, Vol. I, p. 147 ] निज़ाम राज्य में औरंगाबाद से सात मील उत्तर-पश्चिम अक्षांश १६° ५७' उत्तर र ७५° १५' देशांतर पूर्व में बसा हुआ है । The East India Gazetteer. Walter Hamilton, Vol. I, p. 526) देवगिरि में एक दुर्ग भी हैं। यह इतना दृढ़ बना है और इसमें इतनी सुविधायें हैं कि यदि रक्षा का पूरा प्रवन्ध कर लिया जाय तो शत्रु को केवल भोजन की कमी होने पर ही यात्म समर्पण करना पड़ेगा । पहाड़ियों की श्रेणी से उत्तर पश्चिम ३००० गज़ की दूरी पर ग्रेनाइट में छिद्र करके बनाया हुआ यह दृढ़ दुर्ग मधुमक्खियों के दोस छत्ते सदृश दिखाई पड़ता है। इसकी नीचे का तिहाई भाग तराशकर चट्टान की सीधी दीवाल सदृश कर दिया गया है। अनुमानत: ५०० फिट ऊँचे इस दुर्ग के चारों ओर एके गहरी नहर है और नहर के बाद एक साधारण दीवाल परन्तु नहर और दुर्ग तक तीन फ़ाटक और तीन मोटी दीवालें पड़ती हैं । नहर के ऊपर से दुर्ग में जाने का मार्ग इतना संकीर्ण बनाया गया है कि एक साथ दो मनुष्यों से अधिक नहीं जा सकते ।” | दुइ के वि० त्रि० के लिये देखिये--:/'he 89.s६ India Gazetteer. Walter Hamilton, Vol. I, pp. 526, 527.1 ‘बादशाह ( मुहम्मद तुग़लक ) देवगढ़ ( दुर्गं और नगर ) की स्थिति और दृढ़ता देखकर तथा इसे दिल्ली की अपेक्षा अपने साम्राज्य का उचित केन्द्र विचारकर इतना प्रसन्न हुआ कि उसने इसे अपनी राजधानी बनाने का संकल्प कर लिया ।” (Firishta-Briggs. (1829) YoL I, p. 419.]