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ने लौटते हुए दुर्रानी शहंशाह से लाहौर का अधिकार माँग कर प्राप्त किया। रणजीत सिंह ने सिक्ख राज्य की नींव डाली और मरते-मरते वा पना साम्राज्य तिब्बत से सुलेमान तक और सिंधु के उस पार सुलतान तक कर लिया । उनके उत्तराधिकारी उतने योग्य न निकले । सन् १८४८ ई० में अंग्रेज़ों ने दलीप सिंह को गद्दी रे? उतार कर सिक्ख साम्राज्य ब्रिटिश भारत में मिला लिया "Sorrow was silenced and the Sikh Empire became & story of the past." (Old Laliore Goulding) लाहौर दुर्ग दक्षिण पुर्य में छोटा रावी नदी पर बना हैं । आधुनिक नगर के चारों और के बाग बगीचे, पुरानी मसजिदे, मीनार, मठ, कन्ने अादि देखकर स्पष्ट पता लग जाता है कि प्राचीन लाहौर का विस्तार अब से कहीं अधिक था । सिल उत्थान काल में सैनिकों को कवायद कराने के लिये न जाने कितनी पुरानी इमारतें गिरा कर मैदान बनाये गये और बाद में अंग्रेज़ी ने भी नगर की उन्नति की । लाहौर नगर में चारों शोर से तेरह दरवाज़ हैं--- रौशनी, कश्मीरी, मस्ती, दिल्ली, बक्की, देहली, अकबर, मोची, शाह अलमी, लाहौरी, मोरी, भाटी और तक्षली। | अगस्त सन् १९४७ ई० में डोमीनियन स्टेटस प्राप्ति के उपरांत भारतवर्ष दो भागों में विभाजित हो गया और लाहौर इस समय पश्चिमी पंजाब की राजधानी तथा प्राविःस्तान का प्रमुख नगर है । विभाजन काल में धार्मिक असहिष्णुता की शोट में, मानवता को कलंकित करने वाले हिंदू रूपात से इस नगर की भूमि रंजित हो चुकी है। शायद लाहौर की इतनी दुर्गति चंगेज़ वाँ तथा अन्य लुटेरे शासकों ने नहीं की, जितनी कि लीग के अनुयाइयों ने भारत त्रिभाजन समय में की। वि० वि० देखिये---Lahore, Latif Syed Muhammad ; Old Lahore, Goulding; Lahore Directory; Ancient Geography of India, Cunningham; Delhi to Cabul, Barr; Vigin's travels; Journal of the Punjab Historical Society, Vol. I, (Historical Notes on Lahore Fort, J. Ph. Vogel, p. 38.)] =