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समय इक्यावन के हॉसीपुर युद्ध में लानंतों की विजय और मुसलमान लेना की पराजय कः वृत्तान्त समय बदन को सुनकर चोरी का प्रक्रक्षण तथा परास्त होने के विवरण एक सूत्र में बँध जाते हैं। तिरपन समय सहुदा दुर्ग में इौरी से युद्ध के कारण की शुकी द्वारा जिज्ञासा | सुक्क सुकी सुक संभरिय} बालक कुरंभ शुद्ध ।।। कोट मडुबा साह दन । कहौ अनि किन रुद्ध ।। १, के फलस्वरूप शुक द्वारा उत्तर में प्रारम्भ हो जाता है और इस मा ए परास्त गोरी का भेद पा जाने के कारण पळून राय से बैर लेने के लिये नागौर जा धमकने वाला समय चउवन उससे पृथक नहीं प्रतीत होता । प्रासंगिक वार्ता होने के कारण उनकी कथा एक समय के अन्तर्गत रखी जा सकती थी परन्तु उस स्थिति में संभवत: पञ्जुन की वीरता की छाप गहरी न पड़ती ।। समय पनपन में ‘राह रूप हुशान, मान लगौ से भूमि पल’ से पृथ्वीराज की प्रशंसा करके, उनका सामंतों पर दिल्ली का भार छोड़कर *प्पन श्राधेटक कियौ जने पर जयचन्द्र से युद्ध का विस्तृत वर्णन है । *चित्रंगी उप्पर तमकि, चढ़ि पंगुरी नरेस के साथ समय छप्पन में जयचन्द्र और रावल समर सिंह को युद्ध दिया गया है तथा सत्तावन समय में दिल्ली मैं चहुअान, तपै अति तेज बराबर से प्रारम्भ करके, प्रसंग लाकर कैमास वध की कथा है। समय अष्टावन में सामंतों के सिरताजे पृथ्वीराज कैमास की मृत्यु से दुखी दिखाये गये हैं--- नह सच मुरुप गवई थह ! नह सच अंदर राज {} उर अंतर कैमास दुध } सामंता सिरताज ।।१, इस वर्णन द्वारा नवीन वार्ता को पूर्व कृथा से सम्बन्धित कर भट्ट दुर्ग केदार और चंद का वाद-विवाद, गोरी का अाक्रमण तथा पराजय की कथा इस समय में कह डाली गई है। समय उनसठ में अब तक अलेक युद्धों के विजेता पृथ्वीराज के ऐश्वर्य तथा दिल्ली नगर और दरबार का समयानुकूल वर्णने बड़े कौशल से किया गया है। यद्यपि पूर्व समय की बात से इसका कोई सम्बन्ध नहीं परन्तु उपयुक्त अवसर पर लाये जाने के कारण यह खटकता नहीं है। दरबार का वर्णन ‘यों तदै पिथथ दिल्ली सजर के साथ समाप्त होता है जिसमें साठवें समय का प्रारम्भ बैठो राजन सुभ विजें, सामॅत सूर समृहति साज