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आत्म-कथा : भाग २


यह सब हम ईसामसीहके नामपर मांगते हैं।' इस प्रार्थनामें भजन-कीर्तन न होते। किसी विशेष बातकी याचना ईश्वरसे करके अपने-अपने घर चले जाते। यह समय सबके दोपहरके भोजन का होता था, इसलिए सब इस तरह प्रार्थना करके भोजन करने चले जाते। प्रार्थनामें पांच मिनटसे अधिक समय न लगता।

कुमारी हैरिस और कुमारी गेबकी अवस्था प्रौढ़ थी। मि॰ कोट्स क्वेकर थे। ये दोनों महिलायें साथ रहतीं। उन्होंने मुझे हर रविवारको ४ बजे चाय पीनेके लिए अपने यहां आमंत्रित किया। मि॰ कोट्स जब मिलते तब हर रविवारको उन्हें मैं अपना साप्ताहिक धार्मिक-रोजनामचा सुनाता। मैंने कौन-कौन-सी पुस्तकें पढ़ीं, उनका क्या असर मेरे दिलपर हुआ, इसकी चर्चा होती। ये कुमारिकायें अपने मीठे अनुभव सुनातीं और अपनेको मिली परम-शांतिकी बातें करतीं।

मि॰ कोट्स एक शुद्ध भाववाले कट्टर युवक क्वेकर थे। उनसे मेरा घनिष्ट संबंध हो गया। हम बहुत बार साथ घूमने भी जाते। वह मुझे दूसरे भाइयोंके यहां ले जाते।

कोट्सने मुझे किताबोंसे लाद दिया। ज्यों-ज्यों वह मुझे पहचानते जाते त्यों-त्यों जो पुस्तकें उन्हें ठीक मालूम होतीं, मुझे पढ़नेके लिए देते। मैंने भी केवल श्रद्धाके वशीभूत होकर उन्हें पढ़ना मंजूर किया। इन पुस्तकोंपर हम चर्चा भी करते।

ऐसी पुस्तकें मैंने १८९३ में बहुत पढ़ीं। अब सबके नाम मुझे याद नहीं रहे हैं। कुछ ये थीं—सिटी टेंपलवाले डा॰ पारकरकी टीका, पियर्सनकी 'मेनी इनफॉलिबल प्रूफ्स', बटलर कृत 'एनेलाजी' इत्यादि। कितनी ही बातें समझमें न आतीं, कितनी ही पसंद आतीं, कितनी ही न आतीं। यह सब मैं कोट्ससे कहता। 'मेनी इनफॉलिबल प्रूफ्स'के मानी हैं 'बहुतसे दृढ़ प्रमाण', अर्थात् बाइबलमें रचयिताने जिस धर्मका अनुभव किया उसके प्रमाण। इस पुस्तकका असर मुझपर बिलकुल न हुआ। पारकरकी टीका नीतिवर्द्धक मानी जा सकती है; परंतु वह उन लोगोंकी सहायता नहीं कर सकती जिन्हें ईसाई-धर्मकी प्रचलित धारणाओंपर संदेह हैं। बटलरकी 'एनेलाजी' बहुत क्लिष्ट और गंभीर मालूम हुई। उसे पांच-सात बार पढ़ना चाहिए। वह नास्तिक को आस्तिक बनानेके लिए लिखी गई मालूम हुई। उसमें ईश्वरके अस्तित्वको सिद्ध करनेके लिए जो युक्तियां