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अध्याय २०: बालसुंदरम्


खाल्टो असंभव है।।

कांग्रेस का दूसरा अंग था-वहां जन्मे नौर शिक्षा पाये भारतीयों की नैदा करना है उनके लिए कालोनियल बॉर्न एंड इंडियन एजुकेशनल एसोसिएशन की स्थापना की। उसमें मुख्यतः वे नवयुवक ही सभ्य थे। उनके लिए चंदा बहुत थोड़ा रखा था। इस सभाकी बदौलत उनकी आवश्यकतायें मालूम होतीं, उनकी विचार-शक्ति बढ़ती, व्यापारियों के साथ उनका संबंध बंधता,और खुद उन्हें भी सेवा का स्थान मिलता। यह संस्था के दाद-विवाद-समिति जैसी थी। उसकी नियम पूर्वक बैठ कें होती;भिन्न-भिन्न विषयों पर भाषणे होते;निबंध पढ़े जाते। उसके सिलसिले में एक छोटा-सा पुस्तकालय भी स्थापित हुआ।

कांग्रेस का तीसरा अंग था बाहरी आन्दोलन। इसके द्वारा दक्षिण अफरी का अंग्रेजों में तथा बाहर इंग्लैंड में और हिंदुस्तान में वास्तविक स्थिति प्रबाट की जाती थी । इस उद्देश्य से मैंने दो पुस्तिकायें लिखीं। पहली पुस्तिका थी----* दक्षिण अफरी का-स्तिथ प्रत्येक अंग्रेज अपल'। उ दालवाले भारतीयोंकी सामान्य न्तिका दिग्दर्शन सप्रमाण कराया गया था। दुसरी थी---* भारतीय। मताधिकार---एक अपील ।'इसमें भारतीय मताधिकारका इतिहास अंकों और प्राणों सहित दिया गया था। इन दोनों पुस्तिकाओंको बड़े परिश्रम और अध्ययनके बाद मैंने लिखा था। उसका परिणाम भी वैसा ही निकला। पुस्तिकाका काफी प्रचार किया गया। इस हेल-चलके फलस्वरूप दक्षिण अफरीका भारतीयोंके मित्र उत्पन्न हुए । इंग्लैंडमें तथा हिंदुस्तानमें सब दलोंकी ओरसे मदद मिली और आगे कार्य करने की नीति और भार्ग निश्चित हुआ।

२०
बालासुंदरम्

जैसी जिसकी.भावना होती है वैसा ही उसको फल मिला करता है। अपने यह नियम घटा हुआ मैंने अनेक बार देखा है। लोगोंकी,अथात् गरीबोंकी,सेवा करने की मेरी प्रबल इच्छाने गरीबों के साथ मेरा संबंध हमेशा अनायास बांध दिया है।