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१५० :: तुलसी चौरा
 


वसंती की समझ में नहीं आया। पार्वती ने ही बताया कि मीनाक्षी दादी सारी खबर रखती है और वही परोसती है।

पार्वती ने ही बताया कि मीनाक्षी दादी अम्मा को भड़काती रही, कि यदि घर की स्त्री जिद पकड़ ले तो पुरुष अकेला क्या कर लेगा? बसंती को लगा इस तरह की अज्ञानी ईष्या और जिद रखने वाली बूढ़ी औरतें ही गाँव की राजनीति खेलती हैं। शादियों को रुकवाना, परस्पर वैमनस्य पैदा करना, अफवाहें फैलाना, पीठ पीछे बुरा कहना, कान भरना, बूढ़ी औरतों के पास यही काम बच रहा है। कुछ जरूर ऐसी हैं जो इन बुराइयों से दूर रहती हैं। पर कितनी कम हैं वे संख्या में। वसंती ने शर्मा जी को आकर सूचना दी। पर रवि और कमली से कुछ नहीं कहा। उन्हें किसी तरह की घबराहट तक नहीं देना चाहती थी।

जहाँ तक वेणुकाका का प्रश्न था। काकी को इस जिद का उन पर कोई असर नहीं पड़ा। वे विवाह की तैयारियों में लगे थे। नादस्वरम तथा अन्य तैयारियाँ की जा रही थीं।

इन सबसे सीमावय्यर का क्रोध और भड़क उठा था। आग में घी पड़ने वाली एक घटना भी घट गयी थी, सीमावय्यर उसमें बुरी तरह फंस गए।

शंकरमंगलम के अंतोनी प्राथमिक पाठशाला की अध्यापिका मलरकोटि स्कूल से लौट रही थी कि सीमावय्यर ने अकेले में आकर हाथ खींच लिया। उनके एकाध नौकर भी बाग में थे। इसलिए उनकी हिम्मत और बढ़ गयी थी। अहमद अली की दी हुई विदेशी शराब भी पी रखी थी। सीमावय्यर के बाग में रात में चलने वाले पंपसेट के लिए एक सीमेंट की कोठरी बनी थी। उन के पीने पिलाने और रास लीला के लिए इसका खास उपयोग होता था। ये सारे कर्म वे घर में नहीं करते। बाग चूँकि गाँव से कुछ दूर पड़ता था, इसलिए सुविधा रहती थी। मलरकोडि पर उनकी आँखें कई दिनों से थीं। उस रात