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तुलसी चौरा :: १६५
 


बाकी लोगों के लिए भी आश्चर्य का विषय था।

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अगले दिन की सुनवाई के दौरान जब प्रतिपक्ष के वकील ने इस मुकदमें की खासियत को मद्देनजर रखते हुए कुछ और साक्ष्यों को प्रस्तुत करने की अनुमति चाही, तो वेणुकाका ने इस पर आपत्ति की। पर न्यायाधीश ने उसकी अनुमति देते हुए कहा, 'उनके गवाहों से आप भी प्रश्न कर सकते हैं तब फिर आप चिंता क्यों करते हैं।

वेणुकाका को हल्का सा आभास हो गया था कि वे किन्हें गवाह के रूप में प्रस्तुत करेंगे। उनको कुछ विश्वास था कि वे अपने तर्कों के बल पर उससे निपट लेंगे।

मुकदमें की कार्यवाही देखने के लिए शर्मा, कमली, रवि, बसंती भी कोर्ट में हाजिर थे। भीड़ पिछले दिन से कुछ ज्यादा ही थी।

पहला गवाह इस तरह प्रस्तुत किया गया था जो कि यह साबित कर सके, कि कमली हिन्दू धार्मिक रिवाजों से अनभिज्ञ है।

शिवमन्दिर के मुख्य द्वार के चौकीदार मुत्तूवेलप्पन ने गवाही दी कि दो तीन माह पहले कमली चप्पल पहने ही मन्दिर के भीतर प्रवेश कर गयी। साफ लगा कि वह जानबूझकर तैयार की गयी गवाही है। वेणुकाका ने अपने प्रश्न किए घटना से सम्बन्धित दिन समय सबकी जानकारी माँगी। उसने उत्तर दिया तो बोले। 'दर्शन के वक्त ये अकेली थी कि साथ में कोई और था।'

'न अकेली थी।'

'तो तुमने अपना कार्य पूरा किया या नहीं। उन्हें रोका क्यों नहीं?'

'मैंने तो रोका था! पर ये मानी नहीं।'

किस भाषा में रोका था? और उन्होंने किस भाषा में उत्तर दिया।'

मैंने तोतमिल में कहा था। इन्होंने पता नहीं किस भाषा में उत्तर दिया।

'उनकी भाषा तुम्हारी समझ में नहीं आयी, तो तुम कैसे कह