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१६६ :: तुलसी चौरा
 


सकते हो, कि उन्होंने इन्कार किया था।'

'नहीं... वह तमिल में बोली थी।

'पहले तो तुमने बताया कि जाने किस भाषा में बोली थी, और अब कह रहे हो, कि तमिल में बोली है। अब इसमें सच क्या है?'

वे बौखला गये। उत्तर देते नहीं बना। वेणुकाका जाकर अपनी जगह पर बैठ गए। अगले गवाहों से शिव मन्दिर के पुजारी एक-एक कर आए। पहले गवाह थे कैलाश नाथ उम्र कुल अट्ठावन वर्ष, बुजुर्ग। शिवागम का पूर्ण ज्ञान है उन्हें।

गवाह के रूप में उन्होंने, शपथ ली तो शर्मा और वेणुकाका को बेहद तकलीफ हुई, इतने विद्वान व्यक्ति किस तरह झूठी गवाही के लिए तैयार हो गये हैं।

'वह लड़की, हमारे रिवाजों को नहीं जानती ऊपर से उन पर विश्वास भी नहीं करती। मैंने उसे भभूत और बेल पत्र दिये थे उन्होंने पैरों के नीचे उसे डाल कर रौंद दिया।'

वेणुकाका तुरंत बोले, 'पुजारी जी आप यह मन से कह रहे हैं, या किसी के भड़काने पर?'

प्रतिपक्ष के वकील ने इस पर एतराज किया। उनके वाद दो पुजारियों ने लगभग ऐसी ही गवाही दी, कि उसने परिक्रमा गलत ढंग से की। मन्दिर के नियमों का पालन नहीं किया।

'उस वक्त वे अकेली थीं या कोई और था। किस तारीख को किस वक्त यह घटना घटी थी।' बेणुकाका ने तीनों से यही सवाल किया।

तीनों ने एक ही तारीख और समय बताया। और कमली के अकेले ही आने की बात दोहराई।

वेणुकाका सबसे एक सवाल क्यों किए जा रहे हैं। यह प्रतिपक्ष का वकील समझ नहीं पाया। इसके बाद के गवाहियों में भजन मद वाले पद्मनाभ अय्यर, बेदधर्म परिपालन सभा के सचिव, हरिहर