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१६८ :: तुलसी चौरा
 

'अदालत से निवेदन करता हूँ कि पुजारियों ने यहाँ, जो भी गवाही दी है, वह झूठी है, इसको प्रमाणित करने के लिये मैं यह कैसेट चलाता हूँ।' वेणुकाका ने कैसेट आन किया। अदालत ने उसे ध्यान से सुना।

वेणुकाका ने दुबारा उसे चलाया। कमली का श्लोक पाठ और तुरन्त वाद संवाद―यह तो साक्षात् महालक्ष्मी लगती है। अभी जब यह श्लोक उच्चारण कर रही थी मुझे लगा सरस्वती देवी ही यहाँ आ गयी हैं। और हमें इनके खिलाफ कोर्ट में गवाही देने को मजबूर किया जा रहा है।

'हमारे और आस्तिकों की तुलना में इन्होंने मन्दिर के नियमों की पूरी रक्षा की है।'

'कोर्ट में क्या कहूँगा कह नहीं सकता। पर यह सच है। सब जज ने इसे ध्यान से सुना, कुछ नोट किया तीनोंपु जारी हकबका गये!'

'यह आप की ही आवाज है।' काका ने पूछा।

'मेरे घर आप लोगों ने स्वयं आकर बातचीत चलायी थी। क्या यह सच नहीं है।'

वे लोग इन्कार नहीं कर सके।

'विपक्ष के वकील ने लाख समझाने की कोशिश की कि यह इन पुजारियों को धमका कर लिया गया बयान हो सकता है। पर न्याया- धीश नहीं माने। टेप रिकार्डर वाले प्रकरण ने तीनों पुजारियों को चुपा दिया था।

…यहाँ तक कि गवाहों ने भी इसकी अपेक्षा की थी प्रतिपक्ष के वकील का रहा सहा विश्वास भी खत्म हो गया था।

इसके बाद वेणुकाका ने बताया कि उनके मुवक्किल ने फ्रेंच में सौन्दर्य लहरी, कनकधारा स्तोत्र, भजगोबिंदम् का अनुवाद किया है। इसके लिए हिन्दू धर्म चर्चा को प्रशंसा भी प्राप्त ही है इस सम्बन्ध में मठ के मैनेजर का पत्र भी उन्होंने दिखाया।