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१७० :: तुलसी चौरा
 

'जो झूठ बोलता है, उसको कहीं भी किसी भी तरह से वेइज्जत किया जा सकता है।' वेणुकाका ने निष्ठुर स्वर में कहा। पुजारी उनके स्वर की कठोरता को बर्दाश्त नहीं कर पाये और चले गए।

रवि ने कहा, जो 'झूठ बोलता है, उसकी अपनी ही जीभ धोखा दे जाती है। उस चौकीदार ने पहले बताया कि कमली ने अंग्रेजी में कुछ कहा था। फिर घबराकर कहने लगा कि तमिल में बोली थी। उन्हें तो पता ही नहीं है कि मिथुन मूर्ति कहाँ है। झूठ भी बोला जाए, ऐसे कि सच लगे। देखा सारे गवाह टांय टाय फिस्स…।'

'अरे यही क्यों, इन आस्तिकों ने तो ईश्वर को साक्षी बनाकर झूठी गवाही दी पर मेरे नास्तिक मित्र ने आत्मा को साक्षी बनाकर सच्ची गवाही दी।' शर्मा जी उस दिन की कार्यवाही से खासतौर पर भजन मन्डली के पद्मनाभ अय्यर के उस झूठे बयान से बेहद दुखी थे। माना उनका गुस्सा शर्मा जी पर था, पर इसके लिए कितने ओछेपन पर उतर गए।

'शर्मा, देखा यार, उन्हें जबरन यहाँ गवाही देने लाया गया था। किस तरह खुद ही अपने खिलाफ होते चले गए।'

वेणुकाका ने कहा। कमली ने कुछ नहीं कहा।

शर्मा जी ने उसे देखा और बोले, 'इसे देख कर, बेटी यह मत सम- झना, कि मेरा देश ही गलत है। यहाँ का शास्त्र, यहाँ का दर्शन जितना ऊँचा है, लोग उतने ऊँचे नहीं उठ पाये। यह हमारी त्रासदी है दरअसल अध्ययन और जीवन में अब कोई मेल नहीं रहा।'

'बाऊ जी, कुछ लोग अज्ञानतावश झूठा कहते हैं, तो इसके लिए देश कहाँ से जिम्मेदार बन जाएगा।' कमली ने कहा।

शर्मा आश्वस्त हो गये।

XXX
 

घर के लोग अदालत के मामले में उलझे थे, इधर कामाक्षी की हालत बिगड़ती चली गयी। कुमार और पार्वती ही घर पर उनकी देख