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२२ :: तुलसी चौरा
 


युवकों को अपनी जिंदगी चुनने की पूरी स्वतन्त्रता है वहाँ। वहाँ तयशुदा शादियां, जिन्हें माता पिता तय करते हैं, बहुत कम होती है।'

'तुम तो कह रही थी कि वह करोड़पति बाप की बेटी है। तो उन्हें क्या अपनी इज्जत हैसियत का भी ख्याल नहीं?'

'वै यहाँ के धनिकों की तरह नहीं होते। उन्हें चौबीसों घंटे अपने पैसे का गुमान नहीं रहता। पैसा वहाँ सुविधा भोग के लिए है, वरदान नहीं। कितनी लड़कियाँ हैं जिन्होंने नीग्रो लड़कों से प्रेम विवाह किया है। ऐसी शादियों का भी विरोध नहीं होता। ऐसी शादियाँ परिवार में मनमुटाव नहीं लातीं। वहाँ दुराव छिपाव जैसा कुछ नहीं है। लड़कियाँ इतनी साहती और ईमानदार होती हैं कि प्रेमी को ले जा कर माता पिता के सामने खड़ा कर दें। कमली तो, इंडियन स्टडीज, फेकल्टी के अन्तर्गत रवि से इन्डोलोजी पढ़ रही थी। वहीं से वह रवि को चाहने लगी। यह बात उसने खुद मुझे बतायी थी।'

'अब कोई कुछ भी कह ले। क्या होगा इससे बिटिया? मेरी तो मति मारी गयी थी। न भेजता इस लौंडे को फ्रांस, न यह दिन देखना पड़ता।'

'कमाल करते हैं, शर्मा जी। थोड़ी देर बाद कहेंगे कि काश इसे पैदा ही न किया होता...'

वेणु काका हँस दिये धीमे से।

कुछ देर के मौन के बाद शर्मा जी ने ही बातों का सूत्र फिर से जोड़ दिया।

'अब आप लोग ही बताइए, क्या करना होगा मुझे। इस पत्र का उत्तर दूँ या न दूँ। मैं नहीं चाहता कि वे यहाँ आएँ। अब न कहने की भी हिम्मत नहीं पड़ती।'

'अरे, पेट जाये बेटे को भला कोई आने से रोकता है क्या? अब ऐसा उसने क्या कर डाला, कि आप बेहाल हो रहे हैं?'