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२६ :: तुलसी चौरा
 


माया मोह भी नहीं बचा?'

'बाल विवाह कोई नयी बात तो नहीं है। हमारी और आपकी शादी भी तो ऐसी ही हुई थी।'

'तो? क्या यह गलती इन लोगों के साथ भी दोहरायी जाएगी? कोई मजबूरी तो है नहीं!'

'न! मैं तो यह कह रहा था, कि साइबजादे की करतूत देखकर तो वही मन में आता है कि…।

'बस बस! अब ऐसी बातें सोचना भी मत! आगे की सोचो। सबसे पहले तो उसे एक पत्र लिखो। फिर उन लोगों के ठहरने की व्यवस्था शुरू करो…।'

'क्या करूँ?'

'फ्रेंच लोगों के लिये प्रायदेसी बहुत जरूरी है। यूँ तो सभी विदेशी प्रायदेसी को महत्व देते हैं, पर फ्रेंच लोगों का दिल बहुत नरम होता है। उनके तौर तरीके, उठने बैठने की नजाकत और नफासत देखते ही बनती है। शंकरमंगलम के अग्रहारम में बीचों बीच स्थित आपका पुश्तैनी घर तो धर्मशाला लगता है। एक ही बैठक है नीचे, ऊपरी तल्ले पर एक बड़ा कमरा। स्नानघर भी नहीं है। और तो और कुँए के पास नहाने की व्यवस्था भी नहीं है। आप और पंडिताइन दोनों ही नदी में नहा आते हैं। अब तो आपका रवि भी यहाँ नहाने में कतरायेगा उसको तो स्नानघर की आदत पड़ गयी होगी।'

'तो क्या अब उन दोनों के लिये नया घर बनवाऊँ? शर्मा जी घबराये।'

'मेरा मतलब यह नहीं था। ऊपर एक कमरा और बनवा लीजिए। भूल जाइए कि यह सब आप कमली के लिये कर रहे हैं। अब तो आपके बेटे के लिये भी यह सब जरूरी हो गया होगा। मेरा बेटा सुरेश दो महीने के लिए जब आया था, तब मैंने पूरे घर की