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पृष्ठ:Tulsichaura-Hindi.pdf/६९

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तुलसी चौरा :: ६७
 


से विकृत हो गया। उनके भाव से लगा शर्मा का अभिवादन करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगा।

'नहीं, जरा जल्दी में हूँ। फिर आऊँगा।' वेणुकाका को यहाँ बैठे देखकर सीमावय्यर कतरा कर निकल गए!

'चोर है, पक्का। पता नहीं किस जमीन के झगड़े को उकसाने गया है।' वेणुका का बड़बड़ाए। शर्मा जी ने बात अनसुनी कर दी।

रवि के उठते ही, उसे भी रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया और बसंती को लेकर तैयारियों के लिए घर चले गये।

रात्रि भोज में लगभग दस बीस लोग थे। कमली ही आकर्षण का केन्द्र रही। अधिकांश लोग एल्टेट के मालिक थे।

कमली के सामने बैठे बेणुकाका के मित्र शारंगपाणि नायडू के माथे के तिलक को देखकर कमली भाप गयी कि वे वैष्णव हैं। अत: उनसे अण्टाक्षर मंत्र और रामानुज के बारे में पूछने लगी।

नायडू उसे समझा नहीं सके। लिहाजा पैरिस के नाइट क्लब के बारे में पूछने लगे। अष्टाक्षर मंत्र के बारे में जानकारी की इच्छुक विदेशी युवती और नाइट क्लबों के बारे में उत्सुक दक्षिण भारतीय अधेड़ बैष्णव के बीच इस विरोधाभास का आनन्द रवि ले रहा था।

XXX
 

श्रीमठ के शंकरमंगलम उत्तराधिकारी पं॰ विश्मेश्वर शर्मा के प्रमुख कार्यों में एक कार्य, मठ की जमीन को बटाई पर उठाना भी हैं। उस शाम पट्टेदारों की बैठक बुलाई गई है। इसी बैठक में या अगली बैठक में बटाई तय करनी होगी। अक्सर पश्चिमी पहाड़ी में जब बारिस शुरू होने लगती है, बटाई की बात तय कर ली जाती है।

रवि के आने की हड़बड़ी में शर्मा जी इस बैठक की बात भूल ही गए थे।