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७४:: तुलसी चौरा
 


को आमंत्रित करें। उस रात उस प्रेमी युगल को एकांत सुख देने के लिये यह योजना बनायी गयी थी। कामाक्षी क कट्टरपन और कठोर नियमों से एक दिन तो मुक्ति मिले।

वेणू काका का एस्टेट भी पहाड़ में ही था। पर वहाँ तक पहुँचने के लिए चार घंटे की यात्रा करनी पड़ती। पर नायडू का एस्टेट घंटे भर की दूरी पर ही था। वहाँ ठहरने की अच्छी व्यवस्था थी। नायडू एस्टेट में भी परिवार के साथ रहा करते थे। पर वेणु काका ने अपने एस्टेट में एक छोटा सा गेस्ट हाउस भर बनाया था। यही कारण था कि नायडू के एस्टेट बंगले में रवि और कमली के साथ वेणुकाका बसंती भी चले गये।

एक कार में नायडू, वेणुकाका, बसंती, दूसरी कार में रवि और कमली थे। ठंडी हवा के झोंके में कमली जल्दी ही सो गयी। रवि चूंकि दोपहर में खूब सो लिया था, इसलिए उसे नींद नहीं आयी। कंधे से लगी कमली के देह की गंध उसे उत्तेजित करने लगी। उसे लगा सुन्दर युवती के वालों की सुगंध और चमेली की सुगंध के बीच कोई रिश्ता भी हो सकता है। कुछ फूलों की सुगंध आलिखित कवि- ताओं की तरह होती है। शब्दों के माध्यम से व्यक्त कविताओं की अर्थ सीमा निर्धारित होती है अलिखित कविता असीमित होती है। श्रेष्ठ फूलों की सुगंध भी असीमित होती है। सुगंध और कवियों के बीच बहुत मधुर रिश्ता हो।

फूलों की यह सुगंध रवि को बहुत सालों पीछे ले गयी। शंकर- मंगलम में अलसुबह ये फूल खिलते, बाग में सुगंध फैलाते और वह ठंडे पानी में मुँह हाथ धोकर ओसारे पर आकर बैठता। अमर कोश और शब्द मँजरी बाऊ के सामने बैठकर याद करता। सुबह साढ़े तीन- बजे से साढ़े पांच बजे तक―बाऊ के साथ संस्कृत शिक्षा फिर सुबह बच्चों के साथ स्कूल में अंग्रेजी की विधिवत् शिक्षा। उन दिनों गाँव में बिजली कहाँ थी? बाऊ जी से दीया भी जलाने नहीं देते।' ओसारे