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यह गली बिकाऊ नहीं/105
 

को वापस सौंप दिया। दोपहर का भोजन हवाई जहाज पर ही बाँटा गया।

गोपाल ने खाने के बाद फिर 'ह्विस्की' मँगाकर पी ।

हवाई जहाज़ के नब्बे से अधिक यात्रियों को-परिचारिकाओं ने कितनी फुर्ती से खाना परोसा? किलती मीठी आवाज में यात्रियों के कानों के पास अपने होंठों को ले जाकर उनकी फरमाइशों के बारे में पूछताछ की? मुत्तुकुमरन् यह तमाशा देखकर विस्मय में पड़ गया !

हवाई जहाज में हल्की ठंडक और 'यू-डी-कोलोन' की खुशबू तिर रही थी। मुत्तुकमर ने इस बारे में पूछा तो गोपाल ने कहा कि हर 'उड़ान' के पहले 'एयर क्राफ्ट' के अन्दर खुशबू 'स्प्रे की जाती है ।

नीचे बहुमंजिली इमारतें, समुद्र पर तैरनेवाले जहाज़ आदि दीख पड़े। सिंगापुर का स्थानीय समय सूचित किया गया--भारत और सिंगापुर के समय में लगभग दो घंटे से अधिक का फ़र्क था। यात्रियों ने तुरन्त अपनी-अपनी घड़ियाँ मिला लीं।

हवाई जहाज़ सिंगापुर के हवाई अड्डे पर उतरा। भीनम्बाक्कम से चलते हुए माधवी ने मुत्तुकुमरन् की जिस तरह से बाँधने में मदद की थी, वैसी ही मदद जहाज़ से उतरते वक्त भी 'सीट बेल्ट' खोलने में की।

हवाई अड्डे के "रन-वे' में छोटे-बड़े कई हवाई जहाजों को खड़े पाकर मुत्तुकुमरन् एकदम विस्मय में पड़ गया। अपने प्रिय कलाकारों को देखने के लिए हवाई अड्डे के बाहर-भीतर और बालकनियों में खचाखच भीड़ भरी थी। . अब्दुल्ला ने आगे बढ़कर सबका स्वागत किया। मालाओं के पहाड़ ही लग गये। हवाई अड्डे के 'लाउंज में ही माधवी और गोपाल ने टेलिविजन के लिए “इन्टरव्यू' दिया । उत्सुक भीड़ 'ऑटोग्राफ' के लिए जैसे उमड़ पड़ी।

मुत्तुकुमरन् के नाम-यश या आगमन का अधिक विज्ञापन नहीं किया गया था। अत: माधवी और गोपाल के इर्द-गिर्द ही स्वागत की रौनक थी; मालाओं का 'अंबार लगा था।

मुत्कुमरन ने इसका बुरा नहीं माना। उसने दुनिया के सामने अपना ढिंढोरा ही कहाँ पीटा था कि उसका भी ठाठ-बाट से स्वागत हो ! सिने-सितारों की हैसियत पर पहुँचनेवालों का जो 'ग्लैमर होता है, वह मुत्तुकुमरन जैसे कलाकारों को आसानी से कहाँ से मिलेगा? अभी-अभी तो वह मद्रास आया है और गोपाल की मेहरबानी से एक नाटककार बनने का उपक्रम कर रहा है। जो अपने देश में ही नसीब नहीं, वह सम्मान दूसरे देशों में क्यों कर मिलेगा? मुत्तुकुमरन् को अपनी . इस हैसियत का खूब पता था। फिर भी, लोगों ने उसके सुदर्शन व्यक्तित्व को यों देखा, मानो किसी कलाकार को देख रहे हों। इसपर वह दिल-हो-दिल में खुश हो रहा था।