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10/यह गली बिकाऊ नहीं
 


की सारी कहानी छेड़ दी। उसकी इन लंबी बातों से ड्राइवर को यह अनुमान हो गया कि यह आदमी सिर्फ बाहर का ही नहीं, पूरी तरह गवार भी है।

एक खूबसूरत से बगीचे के बीच स्थित गोपाल के बंगले के फाटक पर पहुँचते ही गोरखे ने टैक्सी रोक दी। वह गोरखे से क्या और कैसे कहे कि पानी में भीगे बगैर फ्लैट के अंदर जा सके---मुत्तुकुमरन् इस बात पर विचार कर ही रहा था कि टैक्सी ड्राइवर ने आगे का काम सँभाल दिया ।

"तुम्हारे मालिक के लंगोटियाँ यार हैं ये..." ड्राइवर के मुख से इतना सुनना था कि 'बड़ा साहब बचपन 'दोस्त ?' पूछते हुए गोरखे ने तन कर एक लम्बा-सा सलाम ठोंका और टैक्सी को अन्दर जाने दिया । अपने को अधिक बुद्धिमान समझने वाले लोग जिस काम को करने में माथा-पच्ची के सिवा कुछ नहीं कर पाते, उसे कम अक्ल होने पर भी समयोचित ज्ञान रखनेवाले बड़ी आसानी से कर जाते हैं । एक टैक्सी ड्राइवर ने इस बात का नमूना पेश कर दिया तो मुत्तुकुमरन् मन-ही-मन उसे दाद देने लगा।

टैक्सी 'पोर्टिको' में जा रुकी तो मुत्तुकुमरन् 'मीटर' के पैसे देकर और बांकी के चिल्लर लेकर बड़े सोध-संकोच के साथ सीढ़ियां चढ़ा । 'हाल' में प्रवेश करते ही, गोपाल की एक आदमकद तस्वीर ने उसका स्वागत किया। उसमें गोपाल शिकारी के भेष में एक मरे हुए शेर के सिर पर पैर रखे, हाथ में बंदूक ताने खड़ा था।

बनियान और लुंगी पहने अधेड़ उम्र का एक आदमी अंदर से आया और मुत्तुकुमरन् से पूछा, “क्या काम है ? किससे मिलना है ?” मुत्तुकुमरन् से परिचय सुनकर उसे रिसेप्शन हाल में ले गया और एक आसन पर बिठाकर चला गया ! उस 'हाल' में कई सुन्दर लड़कियाँ बैठी हुई थीं, जो होटल में दिखी लड़की से भी अधिक सुन्दर लगीं। उसने देखा कि वे सब इसे टकटकी लगाये देख रही हैं । उस कमरे पर दाखिल होने पर मुत्तुकुमरन् को लगा कि वह घुप्प अंधेरे से चकाचौंध पैदा करनेवाले प्रकाश में आ गया है। वहाँ ऐसे कुछ नवयुवक भी थे जो . पाक्ल-सूरत में अभिनेता लगते थे। थोड़ी देर उनके बीच हो रही बातों पर ध्यान देने पर उसे पता चला कि गोपाल स्वयं एक नाटक कंपनी शुरू करने वाला है। उसमें काम करने के लिए अभिनेता-अभिनेत्रियों के चुनाव के लिए उस दिन शाम को पाँच बजे 'इन्टरव्यू' होनेवाली है । और वह 'इन्टरव्यू स्वयं गोपाल लेगा और चुनेगा।

वहाँ बैठी लड़कियों पर प्रकट या अप्रकट रूप से बार-बार नजर फेरने की अपनी लालसा को वह दबा नहीं पाया। हो सकता है कि उनकी आँखें भी उसी की तरह तरस रही हों। वहाँ बैठे हुए युवकों को देखने पर उसे इस बात का पक्का विश्वास हो गया कि वह इन सबमें ज्यादा खूबसूरत है । असल में उसका यह गर्व स्वाभाविक भी था। पहले तो वह साधारण ढंग से दुबका हुआ था। अब पैर पर पैर रखकर आराम से बैठ गया। ऊँची आवाज़ में बोलती लड़कियाँ उसे देखते ही दबी आवाज़ में