इन दोनों ने भी अपने आपसे मुँह फेर लिया।
उसके बाद, नाटक वाले तीनों दिन ऐसे ही बीते कि गोपाल की माधवी से, माधवी की मुत्तुकुमरन् से व्यवहार में सहजता ही नहीं आयी। छ: बजे नाटक- मंडली के साथ, कारों में थियेटर जाते, ग्रीन रूम में जाकर 'मेकअप' करते और मंच पर आकर नाटक खेलते । फिर गुमसुम आवास को लौट आते थे।
गोपाल ने अब्दुल्ला की हविस पूरी करने का एक दूसरा रास्ता निकाल दिया। उसकी मंडली में 'उदय रेखा' नाम की छरहरे बदन की एक सुन्दरी श्री। उसे अब्दुल्ला के साथ लगा दिया ताकि वह उसके साथ अकेली कार में जाये और उसके दिल को बहलाने के सामान संजोये । वह स्त्री-साहस में निपुण थी और अब्दुल्ला को खुश कर टैप रिकार्डर, ट्रांजिस्टर, जापानी नाईलेक्स की साड़ियाँ, नेकलेस, अंगूठी, घड़ी वगैरह कितनी ही चीजें अपने लिए झटक लायी।
पहले दिन के अनुभव के बाद, मुत्तुकुनरन् ने नाटक-थियेटर में जाना ही छोड़ दिया और शाम का वक्त अपने ही कमरे में गुजारना शुरू कर दिया। अकेले में रहते हुए वह कुछेक कविताएं भी रच सका। खाली समय में वह मळाया से निकलनेवाले दो-तीन तमिळ के दैनिक पत्रों को लेकर बैठ जाता । भाग्य से यहाँ के दैनिक अधिक पृष्ठों वाले होते थे और उसे समय काटने में मदद देते थे। दोपहर के वक्त मंडली के कुछ कलाकार उससे बातें करने के लिए भी पास आ जाते थे। दूसरे या तीसरे दिन एक उप-अभिनेता मुत्तुकुमरन् से ही यह सवाल कर बैठा, "क्यों साहब, आपने नाटक में आना ही क्यों बंद कर दिया ? आपमें और गोपाल साहब में कोई अनबन तो नहीं ?"
मुत्तुकुमरन ने लीप-पोतकर उत्तर दिया, “एक दिन देखना काफ़ी नहीं हैं क्या? हमारा नाटक हमारी मंडली खेलती है ! रोज-रोज देखने की क्या जरूरत है ?". "ऐसे कैसे कह सकते हैं, साहब ? नाटक सिनेमा की तरह नहीं है। एक बार 'कैमरे' में भरकर चालू कर दें तो फ़िल्म जैसे चलती ही रहेगी। नाटक की बात दूसरी है। वह प्राणदायिनी कला है । बार-बार खेलते हुए भी हर बार निखर उठती है, चमक उठती है ! अभिनय, गीत-सब कुछ शान पर चढ़कर आनंद की गंगा बहा देते हैं।'
"बिलकुल ठीक फरमाया तुमने ।”
"अब आप ही देखिए! कल आप नहीं आये। परसों आये थे। जिस दिन आपने आकर देखा था, उस दिन माधवीजी का अभिनय बड़ा शानदार और जानदार रहा। कल आप नहीं आये तो थोड़ा ‘डल' रहा । उनके अभिनय में वह उत्साह नहीं रहा और बह जान नहीं रही !"
मेरी बड़ाई करने के ख्याल से ही ऐसा कह रहे हो। वैसी कोई बात नहीं होगी। माधवी स्वभाव से ही समर्थ कलाकार है। वह जब भी अभिनय करे और