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136/यह गली बिकाऊ नहीं
 

हम दोनों बड़े दोस्त थे । कविराज के कुटुंब में पैदा होने से मेरे प्रति इनका अपार प्रेम हैं। उन दिनों ये हमारी नाटक मंडली के नायुडु के दाहिने हाथ रहे थे।

"तो ये गोपाल जी को भी अच्छी तरह जानते होंगे !"

"हाँ, जानता हूँ ! लेकिन वे अब आसमान पर चढ़े हुए हैं । इस देश के बहुत बड़े जौहरी अब्दुल्ला के 'गेस्ट' बने हुए हैं। पता नहीं, हम जैसों को वे कितना मानेंगे और सराहेंगे । फिर वे मेरीलिन होटल में ठहरे हुए हैं। मुझे मेरीलिन होटल जाते हुए ही डर लगता है। वहाँ 'दरबान से लेकर वेटर तक' अंग्रेजी में बातें करते हैं। अंग्रेजी से मेरा छत्तीस का वास्ता है ! न तो बोलना आता है और न समझना !"

"यानी कि आप मेरे जैसे हैं ! मुत्तुकुमरन् ने कहा। "यह कोई बड़ी बात नहीं; आदत पड़ने पर आप ही आप यह समझ आ जाती है।"

"बात वह नहीं । एक दफे की बात है। मुझे अपने व्यापार के सिलसिले में हांगकांग जाना था। प्लेन का टिकट खरीदने के लिए मैं मेरी लिन गया था। बी० ए० ओ० सी० कंपनी का दफ्तर मेरीलिन के 'ग्राउंड फ्लोर पर है। वहां रिसेप्शन में एक चीनी युवती थी। वह अंग्रेज़ी चुहियाने लगी तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया। मैं थोड़ी बहुत मलय और चीनी भाषा जानता हूँ । धैर्य से चीनी में बोला तो वह लड़की भी हँसती हुए चीनी में बोली। मैं टिकट लेकर आ गया । मैं मानता हूँ कि अंग्रेजी जानना ज़रूरी है। पर न जाननेवालों से जब कोई ज़बरदस्ती उस जुबान में बोलकर' संकट में डालता है तो बड़ा दुख होता है !"

"माधवी को वह संकट नहीं है, रेड्डियार जी ! उसे अंग्रेजी, मलयालम, तमिल आदि अच्छी तरह से बोलना भी आता है और लिखना भी आता है।"

"हाँ, केरल में तो सभी अंग्रेजी पढ़े-लिखे होंगे !"

रेड्डियार से विदा लेते हुए दोपहर के साढ़े तीन बज गए। शाम के नाश्ता- कॉफ़ी के बाद ही वे पेट्टालिंग जया से रवाना हुए। चलते समय रेड्डियार ने बड़ी आत्मीयता से कहा था 'देखो, मुत्तुकुमरन् ! जबतक यहाँ रहते हो, मुझसे जो भी मदद चाहो निस्संकोच ले सकते हो। बाहर आने-जाने के लिए कार की जरूरत पड़े तो फोन करना !"

उनके इस प्रेम-भाव से मुत्तुकुमरन् विस्मय और आनन्द. से विभोर हो गया । जब वे स्ट्रायिट्स होटल में वापस पहुँचे तो दिल को हिला देनेवाली एक ख़बर मिली।

उस दिन दोपहर के वक्त भी गोपाल ने बेहद पी रखी थी। वह बाथ रूम जाते हुए फिसल पड़ा था। घुटने में हल्का-सा फेक्चर हो गया था। इसलिए उसे अस्पताल में भरती किया गया था। मंडली के दूसरे सभी कलाकार उसे देखने के लाल गए हुए थे।