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पृष्ठ:Yeh Gali Bikau Nahin-Hindi.pdf/१४०

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यह गली बिकाऊ नहीं/139
 


था। चमकदार जिल्द वाली अरबी घोड़ी जैसी स्फूर्ति के साथ वह मंच पर उतरी।

"मेरे हृदय मंच पर कंत नाचते तुम।

तुम्हारे संकेतों पर प्रिय, नाचती मैं।"

इस गीत पर उसने अप्रतिम नृत्य उपस्थित कर खूब वाह-वाही लूटी। मुत्तुकुमरन मेरे साथ भूमिका में है। इस विचार से माधवी और माधवी मेरे साथ भूमिका कर रही है-इस विचार से मुत्तुकुमरत्-दोनों स्वस्थ प्रतियोगिता से अपनी भूमिका निभाने लगे तो हर दृश्य में ऐसी करतल ध्वनि हुई कि पूरी दर्शक दीर्धा ही थरथरा उठी। उस दिन का नाटक अत्यन्त सफल रहा । सह्योगी कला- कारों और स्वयं अब्दुल्ला ने बात-बात पर मुत्तुकुमरन की तारीफ की।

"इसमें तारीफ़ करने की क्या बात है ? मैंने अपना कर्तव्य निबाहा, बस ! ढेर- सारा पैसा खर्च करके आपने हमें बुलाया और डर रहे थे कि कहीं बाटा उठाना न पड़ जाये। आपका भय दूर करने और अपने मित्र का मान रखने के लिए मुझे जो कुछ करना चाहिए था, मैंने किया !" मुत्तुकुमरन् बड़ी ही सहजता से उसे उत्तर दिया।

दूसरे दिन सवेरे वहाँ के दैनिक समाचार-पत्रों में पैर फिसलने से गोपाल के गिर जाने और हड्डी टूट जाने की खबर और पिछली शाम के नाटक में गोपाल की जगह नाटककार मुत्तुकुमरन को सफल भूमिका की खबरें साथ-साथ छपी थीं ।

सवेरे-सवेरे मुत्तुकुमरन् और माधवी गोपाल को देखने अस्पताल गए। "ठीक समय पर हाथ बंटाकर तुमने मेरी मान-रक्षा की है। इसके लिए मैं तुम्हारा बहुत आभार मानता हूँ !" कहकर गोपाल ने हाथ जोड़े।

"फिर तो यह भी कहो कि तुम मेरे ही भरोसे बोतल पर बोतल चढ़ाकर नशे में डूबे रहे कि समय पर तुम्हारी जाती हुई इज्जत को मैं किसी तरह बचा दूंगा। वाह रे वाह ! भाग्य से अखबारवालों ने तुम्हारी धज्जियाँ नहीं उड़ायी ! इतना ही लिखा कि तुम स्नानागर में फिसल कर गिर गये । बात की तह में जाकर क्यों गिरे, कैसे गिरे' का विवरण भी दिया होता तो जग-हँसाई. ही होती !" भुत्तुकुमरन् ने गोपाल को आड़े हाथों लिया ।

... "उस्ताद ! मानता हूँ कि मैंने बड़ी गलती की ! मेरी अक्ल मारी गयी थी। अब सोचने से क्या फ़ायदा? पीने के पहले ही सोचना चाहिए था ! मेरी अक्ल तब ठिकाने नहीं थी।"

"तुम्हारी अक्ल कब ठिकाने रही है. ? बोलो ! खैर, छोड़ो उन बातों को ! अब तबीयत कैसी हैं ? कल रात को अच्छी नींद आयी या नहीं ?'

"खूब अच्छी तरह सोया था । सवेरे उठने पर नाटक की याद आयी। फिर सोच लिया कि 'न्सल' हुआ होगा। अच्छा हुआ कि तुमने बचा दिया। अखबार

“पढ़ने पर सबकुछ मालूम हुआ। अब्दुल्ला ने भी आकर बताया कि तुम्हारा अभिनय