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6/यह गली बिकाऊ नहीं
 


पास किसी के नाम न कोई परिचय-पत्र था और न कोई सिफ़ारिशी चिट्ठी। हाथ की कुल पूँजी थी, सिर्फ सैंतालीस रुपये। कला के जगत् में अत्यंत आवश्यक समझी जाने वाली योग्यता भी उसमें नहीं थी। और वह किसी दल विशेष का सदस्य या पक्षपाती भी नहीं था।

सुविधाएँ भी थीं―

वह अभी विवाह-बंधन में नहीं बँधा था। इसका यह मतलब नहीं कि उसे शादी या लड़की से नफ़रत थी। असली बात यह थी कि उन दिनों नाटक कंपनी में काम करने वालों का मान-सम्मान करने या लड़की ब्याहने को कोई तैयार नहीं था। कंघी किये हुए काले घुँँघराले बाल, होंठों में सदाबहार मुस्कान, सुन्दर नाक-नक़्श, कद-काठी का भरा पूरा―उसे कोई एक बार देख ले तो बार-बार देखने को जी करे और सुमधुर कंठ―सब कुछ था।

एळुंबूर रेलवे स्टेशन में उसके उतरते ही मूसलाधार वर्षा होने लगी। इसका कोई यह गलत हिसाब न लगाए कि दक्षिण से आने वाले कवि के स्वागत में आकाश अपनी भूमिका निभा रहा है। यह, दिसंबर महीने का पिछला पखवारा था। हर साल की तरह प्रकृति अपना नियम निभा रही थी। दिसंबर में ही क्यों, किसी भी महीने में मद्रास के लिए ऐसी बारिश की कोई ज़रूरत नहीं थी।

ऐसी वर्षा में, मद्रास में कोई चीज़ बिकती नहीं। सिनेमा-थियेटर में भीड़ कम हो जाती है। झोंपड़-पट्टियाँ पानी में डूब जाती हैं। सुन्दर लड़कियों को डरते-डरते सड़कों पर पाँव रखना पड़ता है कि चमकदार साड़ियों में कहीं कीचड़ न उछल जाये। पान की दुकानों से लेकर साड़ियों की दूकानों तक व्यापार ठप्प हो जाता है। विस्मृति में छतरियाँ खो जाती हैं। अध्यापकों और सरकारी नुमाइन्दों के जूते फट जाते हैं। टैक्सी वाले कहीं भी जाने को इनकार करते हैं। इस तरह पानी से डरने वाले मद्रास शहर के लिए बारिश की क्या ज़रूरत है भला!

लेकिन मुत्तुकुमरन् को पानी में नहाने वाला ऐसा मद्रास बड़ा सुन्दर लगा। मद्रास नगरी उसकी कल्पना में ऐसी उभर आयी, मानो कोई सुन्दरी नहाने के बाद भीगे कपड़ों में लजाती खड़ी हो। धुआँधार मेघों के आच्छादन में इमारतें, सड़कें और पेड़ धुँँधले-से नज़र आये।

मुत्तुकुमरन् पानी में अधिक भीगे बिना, एळुंबूर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने वाली एक सराय में टिक गया और वहीं अपने ठहरने की व्यवस्था की।

एक लड़का, जो पहले उसके साथ 'नाटक सभा' में स्त्री की भूमिका करता था, वह मद्रास में अब मशहूर सिने-अभिनेता हो गया था। अपने 'गोपालस्वामी नाम को छोटा करके उसने 'गोपाल' रख लिया था। उसने नहा-धोकर कपड़े बदले और कॉफ़ी पीने के बाद सोचा कि उसे फ़ोन करे।

उस लॉज में सभी कमरों में फ़ोन की सुविधा नहीं थी। सिर्फ़ रिसेप्शन में