मालूम होते हैं । पाठकों को दिलचस्पी होनी चाहिए न?"
"निश्चय ही ऐसे जवाब नये होंगे, मिस्टर जिल जिल ! क्योंकि सभी भेंट--
वार्ताओं में एक ही. जैसे सवाल और जवाब' पढ़कर पाठक उकता गये होंगे !"
कहकर मुत्तुकुमरन् ने अपनी आवाज़ धीमी कर पूछा, "अब तक तो ये सवाल और जवाब दोनों आप ही के लिखे हुए होते हैं न ?"
"हाँ, बात तो सच है !"
"कागज़ पर कुछ लिख लेने के बाद 'जिल जिल' ने अगला सवाल किया, "आपके पसंद के नाटककार कौन हैं ?"
"क्यों ? मैं खुद हूँ !
"ऐसा कहेंगे तो क्या होगा ? जवाब जरा नम्र हो तो अच्छा होगा।"
"मुझी को मैं पसंद नहीं आया तो और किसको पसंद आऊंगा?"
"अच्छा, छोड़िए ! अगला सवाल सुनिए ! क्या आप यह बता सकते हैं कि कला के क्षेत्र में आपके क्या आदर्श हैं ?"
"आदर्श तो बहुत बड़ा शब्द है ! आपके मुँह से इतनी सहजता और धैर्य के साथ इस शब्द का प्रयोग देखकर मुझे भय हो रहा है, मिस्टर जिल जिल ! मुझे इस बात का संदेह है कि इस शब्द का उच्चारण तक करने की योग्यता रखने- वाला व्यक्ति आज के कला के क्षेत्र में कोई होगा भी या नहीं !"
मुत्तुकुमरन और 'जिल जिल' इन बातों में उलझे थे कि माधवी वहाँ आयी ।
"आप आती हैं तो सचमुच बहार ले आती हैं !" कहकर 'जिल जिल' हँसा।
किसी फोड़े की तरह उसका थोबड़ा उभर आया। यह देखकर मुत्तुकुमरन् को उबकाई आयी।
"अच्छा ! अगला सवाल है मेरा ! कहिए, आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की?"
"किसी मर्द से इस तरह के सवाल पूछने और जवाब छापने से आप किसी भी तरह पाठकों को बाँध नहीं सकते, मिस्टर जिल जिल!"
"परवाह नहीं, आप जवाब दीजिये !"
"जबाब दूं?"
"हां, दीजिये !"
.." माधवी की ओर इशारा कर, मुत्तुकुमरन् बोला, "कोई बहार आयें तो शादी करने का विचार है।
"ऐसा ही लिख लूं ?"
"ऐसा ही का क्या मायने?".
"माधवी जैसी सर्वांग-सुन्दरी मिले तो शादी करूंगा।'नाटककार मुत्तुकुमरन् की यह प्रतिज्ञा है।•••लिख लूँ ?"