हद से ज्यादा उसका इम्तहान लेना या डराना नहीं चाहता था। इसलिए हँसकर
रह गया। माधवी भी उसके गांभीर्य के सामने अपने को डरपोक साबित करना
नहीं चाहती थी। उसने अपनी वेबसी को हंसकर टाल दिया। जिल जिल ने और
कुछ वेतुके और उबाऊ सवाल किये, मुंह-तोड़ जबाब पाये और अपनी भेटवार्ता
पूरी कर चल पड़ा।
उस रात को नारद गान सभा के मंच पर स्टेज़-रिहर्सल हुआ, जो बड़ा सफल रहा । रात के ग्यारह बज गये। नाटक आठ बजे शुरू हुआ और ठीक ग्यारह बजे खत्म हुआ।
नाटक तीन घंटे का ही रहे या ढाई घंटे का बनाया जाए ? गोपाल ने मुत्तकुमरन्, माधवी और अन्य कुछ मिन्नों से सलाह-मशविरा किया।
"जो लोग तीन या साढ़े तीन घंटे बैठकर सिनेमा देखते हैं, वे अच्छे सुरुचिपूर्ण नाटक देखने में आना-कानी नहीं करेंगे। किसी भी दृश्य को काटना नहीं चाहिए। नाटक जैसे का तैसा रहे। कहीं कैंची चली तो वह अपना प्रभाव - खोकर हल्का- .. फुल्का हो जाएगा !" मुत्तुकुमरन् अपनी बात पर अड़ा रहा तो गोपाल को लाचार होकर चुप हो जाना पड़ा।
दूसरे दिन शाम को मन्त्री महोदय की अध्यक्षता में नाटक का मंचन होना था। इसलिए सबको जल्दी घर जाकर इस रिहर्तल की रात को थकान सोकर उतारनी भी थी। उन्हें कहा गया कि अगले दिन शाम को पांच बजे अण्णामलै मन्ड्रम में हाजिर हो जाना चाहिए। ठीक छः बजे नाटक शुरू होगा। मंत्री महोदय अंतिम दृश्य के पहले अध्यक्ष का आसन ग्रहण कर नाटक की प्रशंसा में कुछ कहेंगे। अगली रात का सारा कार्यक्रम पूरा होते-होते रात के दस बज ही जायेंगे।
नाटक देखने के लिए शहर के कई प्रमुख व्यक्ति, अन्य नाटक-मंडलियों के सदस्य, पिनांग के अब्दुल्ला आदि विशेष रूप से निमंत्रित थे।
इसलिए स्टेज-रिहर्सल के पूरे होने की रात या दूसरे दिन की सुबह नाटक को घटाने-बढ़ाने या परिमार्जित करने के विषय में सोचने तक को किसी को समय नहीं मिला। स्टेज-रिहर्सल देखने वालों में सिर्फ 'जिल जिल' ही ऐसा था जो सबसे यही कहते हुए नजर आया, "नाटक में हास्य कम है। थोड़ा ज्यादा होता तो अच्छा होता।"
"मेरे विचार से पर्याप्त हास्य है । अगर कहीं कमी-बेशी नज़र आयेगी तो दर्शकों की गैलरी से आपको बुला लेंगे !" मुत्तुकुमरन् ने उसे टोका तो 'जिल जिल' का मुंह आप ही आप बंद हो गया।
दूसरी शाम को अण्णामले मण्ड्रम 'हाउस फूल' हो गया। अनेक व्यक्तियों को टिकट नहीं मिला-फलतः निराश होकर घर लौटना पड़ गया। नाटक ठीक छ:: बजे शुरू हुआ। मंत्री महोदय और पिनांग के व्यापारी अब्दुल्ला पौने छः बजे.