पृष्ठ:Yuddh aur Ahimsa.pdf/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
युद्ध और अहिंसा


निकाला है उसके मुकाबिले में जर्मन लोग लंदन पर कुछ भी नहीं कर सके। भला जर्मन जनता ने अंग्रेजी जनता का क्या बिगाड़ा है? जो कुछ भी किया है वह तो उसके नेताओं ने किया है। उन्हें आप बेशक फाँसी पर लटकाएँ। मगर जर्मन प्रजा के घरों या उनकी गैरफौजी बस्ती की तबाही क्यों की जाती है? उन्मत्त विध्वंसकता की यह प्रवृत्ति चाहे नाजीवाद के नाम से चलाई जाय, चाहे प्रजातंत्रवाद या स्वतन्त्रता का पवित्र नाम लेकर, नतीजा तो उसका एक ही होता है-मौत और तबाही, अनाथों और विधाओं का विलाप, बेघरबार मारे-मारे फिरनेवाले गरीबों का रुदन! मैं नम्रतापूर्वक, निश्चयपूर्वक और दृढ़तापूर्वक अपनी सारी शक्ति लगाकर कहना चाहता हूँ कि स्वतन्त्रता और लोकशासन जैसे पवित्र हेतु भी जब निर्दोष रक्त से रेंगे जाते हैं तो वे अपनी पवित्रता खोकर पापमूल बन जाते हैं। मुझे तो ईसा की अमर आत्मा आज यह पुकार करती हुई सुनाई देती है कि 'ये लोग जो अपने को मेरे बचे कहते हैं जानते नहीं कि वे आज क्या कर रहे हैं। वे मेरे स्वर्गस्थ पिता का व्यर्थ नाम लेते हैं और उसके मुख्य आदेश की अवज्ञा करते हैं।’ अगर मेरे कानों ने मुझे धोखा नहीं दिया तो मैंने और भी बहुत से महानुभाव पुण्यपरायण व्यक्तियों को ऐसा ही कहते सुना है।

मैंने यह सत्य घोषणा क्यों की है? इसलिए कि मेरा विश्वास है कि ईश्वर ने मुझे अमन और शान्ति का सुमार्ग जगत को बताने का निमित्त बनाया है। अगर ब्रिटेन को न्याय मॉगना है तो ईश्वर